VIDEO: जापान और चीन नहीं अब भारत में बनेंगी बुलेट ट्रेन, जानिए क्या है अगली प्लानिंग
देश की पहली बुलेट ट्रेन मुंबई-अहमदाबाद के बीच दौड़ेगी. 2022 तक इसके शुरू होने की संभावना है. भारत के इस प्रोजेक्ट को जापान फंड कर रहा है.
देश में बुलेट ट्रेन चलने का सपना शायद 2022 तक पूरा हो जाएगा. लेकिन, क्या ऐसा भी वक्त आएगा जब भारत दूसरे देशों में बुलेट ट्रेन चलाने के सपने को साकार कर सके. जी हां, अब यह मुमकिन लग रहा है. दरअसल, भारत चाहता है कि बुलेट ट्रेन के कोच का निर्माण भारत में ही हो. देश की पहली बुलेट ट्रेन मुंबई-अहमदाबाद के बीच दौड़ेगी. 2022 तक इसके शुरू होने की संभावना है. भारत के इस प्रोजेक्ट को जापान फंड कर रहा है. अब चर्चा यह है कि भारत ने इस संबंध में जापान से सहायता मांगी है.
जापान के सामने रखा प्रस्ताव
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, भारत ने जापान के सामने बुलेट ट्रेन के कोचों का निर्माण देश में कर उसका निर्यात करने का प्रस्ताव रखा है. ताकि जापान में शिंकांसेन रेलों की परिचालन लागत को नीचे लाया जा सके. दरअसल, शुरुआत में भारत 18 शिंकांसेन ट्रेन को जापान से 7000 करोड़ रुपए में खरीदेगा. इसके लिए भारत में पहला उच्चगति रेल गलियारा मुंबई से अहमदाबाद के बीच बनाया जा रहा है.
कम लागत पर होगा डिब्बों का निर्माण
रेलवे बोर्ड के सदस्य (इंजन एवं डिब्बे) राजेश अग्रवाल ने कहा, "हमने जापान को प्रस्ताव दिया है कि बुलेट ट्रेन के डिब्बों को स्थानीय स्तर पर तैयार करने के लिए वे हमें टेक्नोलॉजी सहायता उपलब्ध कराएं. एक बार हम यह कर लेंगे तो हम कम लागत पर डिब्बों का निर्माण कर सकते हैं. वे दुनिया में सबसे सस्ते होंगे." उन्होंने कहा, "फिर हम उनका निर्माण दुनियाभर के लिए कर सकते हैं.
'यूरोप और अमेरिका भी खरीदेंगे बुलेट ट्रेन कोच'
राजेश अग्रवाल के मुताबिक, अधिकतर देश फिर चीन के मुकाबले हमसे इसे खरीदेंगे. फिर सिर्फ दक्षिण-पूर्वी देश ही नहीं बल्कि यूरोप और अमेरिका जैसे देश भी इसे हमसे खरीदेंगे." उन्होंने कहा कि रायबरेली स्थित आधुनिक कोच कारखाना इस तरह के डिब्बों के निर्माण के लिए पूरी तरह तैयार है. अग्रवाल ने बताया कि रेलवे के पास करीब 1,50,000 कुशल श्रमिक, 50 रेलवे वर्कशॉप और छह उत्पादन इकाई हैं.
प्रस्ताव पर जापान से बातचीत जारी
भारत में जापान के राजदूत केंजी हिरामात्सु ने कहा कि शिंकांसेन ट्रेनों के स्थानीय निर्माण को लेकर बातचीत चल रही है. उन्होंने कहा, "इस बारे में बातचीत हो रही है. मेरा मानना है कि इसका स्थानीय स्तर विनिर्माण ही सर्वश्रेष्ठ है और हम इस बारे में गंभीर तौर पर विचार कर रहे हैं."
खुलेंगे कारोबार के अवसर
अगर ऐसा संभव होता है तो यह सरकारी संगठनों के लिए कारोबार के नए अवसर खोलेगा. उच्च गति रेल नेटवर्क क्षेत्र में दुनियाभर में बहुत संभावनाएं हैं. अमेरिका, वियतमान, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड और इंडोनेशिया में इस दिशा में विभिन्न स्तरों पर काम चल रहा है. अग्रवाल ने कहा कि विचार सिर्फ यह नहीं कि जापान भारत में केवल रेलगाड़ी के रोलिंग स्टाक (इंजन,डिब्बे) का निर्माण करे बल्कि वह अपनी विनिर्माण इकाई का उपयोग रक्षा एवं अन्य क्षेत्रों के लिए निर्माण में भी करे.
क्या है बुलेट ट्रेन का प्लान
भारत में बनने वाले उच्च गति रेल नेटवर्क की लंबाई 508 किलोमीटर होगी. इसमें 12 स्टेशन होंगे. इसका करीब 350 किलोमीटर हिस्सा गुजरात में और 150 किलोमीटर महाराष्ट्र में होगा. हर बुलेट ट्रेन में 10 कोच होंगे जिसमें एक बिजनेस क्लास और नौ सामान्य श्रेणी के होंगे. इस रेल का न्यूनतम किराया 250 रुपये और अधिकतम 3,000 रुपये प्रति व्यक्ति रहने का अनुमान है. इसके लिए जमीन अधिग्रहण का काम जारी है.