ट्रेन से सफर करने वाले मुसाफिरों के लिए बड़ी खबर है. आने वाले महीनों में सरकार ट्रेनों के किराए में बढ़ोतरी कर सकती है. रेल मंत्रालय के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक, सरकार मौजूदा संसद के सत्र के खत्म होने के बाद किराए में बढ़ोतरी का ऐलान कर सकती है. सूत्रों की मानें तो रेल किराया बढ़ाने के लिए PMO से हरी झंडी मिल चुकी है. किराया बढ़ाने के पीछे सबसे बड़ी वजह रेलवे की बिगड़ती आर्थिक स्थिति को बताया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, सरकार बढ़े हुए किराए को 1 फरवरी 2020 से लागू करने के पक्ष में है.

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8-10 फीसदी बढ़ सकता है किराया

सूत्रों के मुताबिक, रेलवे के प्रस्ताव सरकार यात्री किराए में 8-10 फीसदी इजाफे की तैयारी है. वहीं, फ्रेट यानी मालभाड़े में किसी भी तरीके के इजाफे के पक्ष में रेलवे नहीं है. मालभाड़े में किसी तरह के इजाफे नहीं करने के पीछे रोड सेक्टर से मिल रही जबरदस्त टक्कर को बड़ी वजह बताया जा रहा है.

प्रस्ताव के मुताबिक, सरकार यात्री रेल किराए में बढ़ोतरी से क्रॉस सब्सिडी को कम करना चाहती है. क्रॉस सब्सिडी का मतलब है कि माल भाड़े से हुई कमाई को यात्री किराए में हुए घाटे में लगाकर भरपाई करना. सरकार यात्री किराए में बढ़ोतरी को लेकर नए फार्मूला अपना सकती है. इस नए फॉर्मूले से जिस रूट पर सबसे ज्यादा डिमांड है, वहां के किराए में ज्यादा बढ़ोतरी हो सकती है. वहीं, जिन रूट्स पर डिमांड कम है वहां आंशिक बढ़ोतरी की जा सकती है या फिर किराए को स्थिर रखा जा सकता है.

किन रूट्स पर महंगा होगा किराया

मसलन-दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-चेन्नई, मुम्बई-गोवा, मुम्बई-अहमदाबाद जैसे हाई डिमांड रूट्स पर 8-10 फीसदी किराए में इजाफा हो सकता है. वहीं, अजमेर-जयपुर, कानपुर-लखनऊ, चंडीगढ़-लुधियाना जैसे कम डिमांड वाले रूट्स पर आंशिक बढ़ोतरी होने की संभावना है. वहीं, जिस रूट्स पर रोड सेक्टर से जबरदस्त टक्कर मिल रही है वहां आंशिक बढ़ोतरी या फिर किराया स्थिर रखा जा सकता है.

आखिर क्यों बढ़ाया जा सकता है रेल किराया -??

  • रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो लगातार बिगड़ता जा रहा है.
  • पिछले 7 महीने में यानी अप्रैल-अक्टूबर तक भारतीय रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो 108% रहा है.
  • ऑपरेटिंग रेश्यो का मतलब होता है कि रेलवे 1 रुपए कमाने के लिए कितने पैसे खर्च करती है. 
  • अगर ये आंकड़ा 100 के पार है इसका मतलब है कि रेलवे का खर्च, रेलवे की कुल आय से कहीं ज्यादा है. और ये अच्छा संकेत नहीं है.

सूत्रों के मुताबिक, पिछले 7 महीनों में रेलवे अपने अर्निंग्स के टारगेट भी जबरदस्त तरीके से मिस कर गया है. यात्री और मालभाड़े में 19,000 करोड़ रुपए का शॉर्टफल है. जबकि एक्सपेंडिचर साइड में 5000 करोड़ रुपए तय टारगेट से ज्यादा खर्च हुए हैं. 

हालांकि रेल किराए बढ़ाने को लेकर पहले भी कोशिश की जा चुकी है. पूर्व रेलवे बोर्ड चेयरमैन बोर्ड अश्विनि लोहानी ने तीन बार सभी प्रीमियम ट्रेन से फ्लेक्सी फेयर किराए प्रणाली को हटाकर सब ट्रेनो के फ्लैट फेयर हाइक (fare hike) का प्रस्ताव रेल मंत्री पीयूष गोयल को भेजा था. लेकिन, तब रेल मंत्री ने राजनितिक कारणों से खासकर राज्यों में चुनाव को देखते हुए रेल किराए बढ़ाने के प्रस्ताव को लटका दिया था. तब से लेकर अब तक रेलवे की वित्तीय स्थिति में सुधार के बजाए गिरावट ही ज्यादा रही है.

इसके पहले साल 2014, जून में भी मोदी सरकार ने रेल किराए में बढ़ोतरी की थी. तब यात्री किराए में 14.5 प्रतिशत तक का इजाफा किया था, जबकी मालभाड़े में 6.5 प्रतिशत तक का इजाफा किया गया था. तब भी सरकार ने रेलवे की बिगड़ती आर्थिक स्थिति का जवाब देते हुए फैसले को जायज ठहराया था.