रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के प्रमुख मनोज यादव ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का स्वागत किया है. इस फैसले में कहा गया है कि असली यात्रियों के हक के लिए टिकट की दलाली (बिना इजाज़त टिकट बेचना) एक अपराध है. उन्होंने कहा कि RPF यह सुनिश्चित करेगा कि सभी असली यात्रियों को टिकट मिले और जो लोग गलत तरीके से टिकट बेचते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 जनवरी 2025 को यह फैसला सुनाया था. 

हेल्पलाइन नंबर पर करें कॉल

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मनोज यादव ने अपने बयान में कहा, 'हम लोगों से अपील करते हैं कि अगर उन्हें कुछ भी गड़बड़ दिखे, तो हमें बताएं. ऐसा करके आप रेलवे को ठीक रखने में हमारी मदद कर सकते हैं.  शिकायत करने के लिए हेल्पलाइन नंबर 139 पर कॉल करें.  या फिर, आप रेलमदद वेबसाइट पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. रेलवे पुलिस (आरपीएफ) आपसे वादा करती है कि वो पूरी ईमानदारी से काम करेगी और यह पक्का करेगी कि सबके लिए रेल यात्रा अच्छी और सही तरीके से चलती रहे."

ऑनलाइन टिकटों पर भी लागू होगा ये फैसला  

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टिकटों की कालाबाजारी एक सामाजिक अपराध है और इससे आम लोगों को परेशानी होती है. इस फैसले से रेलवे टिकट, खासकर तत्काल टिकट, की कालाबाजारी रुकेगी. अब कोई भी व्यक्ति रेलवे टिकटों को जमा करके ज्यादा दामों पर नहीं बेच सकेगा. यह फैसला ऑनलाइन बुक किए गए टिकटों पर भी लागू होगा. रेल मंत्रालय ने केरल और मद्रास हाई कोर्ट के फैसलों को चुनौती दी थी, उसी से जुड़े मामलों पर यह फैसला आया है.

धारा 143 के तहत ऐसा करना दंडनीय अपराध

रेलवे के इस फैसले से यह पक्का होगा कि रेलवे टिकटों, खासकर तत्काल और आरक्षित जैसे ज़रूरी टिकटों की जमाखोरी न हो और फिर उन्हें धोखेबाज़, गैर-कानूनी लोग ज़्यादा दाम पर न बेच सकें. रेलवे कानून 1989 की धारा 143 के तहत ऐसा करना अपराध है और इसमें सज़ा मिलती है. इस फैसले में यह भी साफ किया गया है कि रेलवे कानून अब ऑनलाइन बुक किए गए ई-टिकटों की खरीदने और बेचने पर भी लागू होता है. इससे आम यात्रियों को फायदा होगा, क्योंकि अब सिस्टम का गलत इस्तेमाल करना ज़्यादा मुश्किल हो जाएगा.