भारतीय रेलवे के चितरंजन रेल इंजन कारखाने ने देश की सेवा करते हुए अपने 70 वर्ष पूरे कर लिए हैं. इस कारखाने ने स्टीम इंजन से शुरुआत कर डीजल और अब इलेक्ट्रिक इंजन को मिलाकर कुल 10,000 से ज्यादा रेलवे इंजन बनाने का काम पूरा किया जा चुका है.

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इंजन उत्पादन का बनाया रिकॉर्ड 

1948 से ये रेल फैक्ट्री लगातार इंजन बना रही है. वर्ष 2019-20 में कुल 431 इंजन का निर्माण कर CLW ने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया है. चितरंजन लोकोमोटिव में डब्लूएपी 7 इंजन भी बनाया जा रहा है ये इंजन हेड ऑन जनरेशन तकनीक पर चलता है. इसके चलते इस इंजन में बिजली की खपत काफी कम हो जाती है. इस इंजन को राजधानी और शाताब्दी जैसी हाई स्पीड गाड़ियों में चलाया जा रहा है.

200 किलोमीटर प्रति घंटा तक कीस्पीड से चलने वाले इंजन बनाए 

चितरंजन लोकोमोटिव वर्कशॉप में हाल ही में 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक की स्पीड से चलने की क्षमता वाले इंजन डब्लूएपी 5 भी बनाया गया है. इस इंजन के जरिए पुश एंड पुल तकनीकी की मदद से भी ट्रेनों को चलाया जा रहा है.

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 इस फैक्ट्री में 6000 एचपी से लेकर 9000 एचपी तक के इंजन को बनाया गया है. इस इंजन के जरिए माल गाड़ियों को चलाया जाता है. 9000 एचपी के इंजन को 100 किलोमीटर प्रति घंटा तक की स्पीड से चलाया जा चुका है.