सार्वजनिक यातायात के सिस्टम में एक नई क्रंति लाने की तैयारी हो रही है. इस कड़ी में दिल्ली से मेरठ के बीच यातयात में लोगों को भीड़ और प्रदुषण से निजात दिलाने के लिए रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम ((RRTS) का काम जल्द पूरा हो जाएगा. इस कॉरिडोर से दो शहरों की दूरी एक घंटे से भी कम समय मे पूरी कर सकेंगे. इस योजना में 3 कॉरिडोर को प्रथम चरण में तैयार किया जाएगा. सबसे पहले दिल्ली से मेरठ कॉरिडोर का निर्माण हो रहा है. 

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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड ने राजधानी क्षेत्र के विभिन्न शहरों को जोड़ने के लिए राट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम का गठन किया. इस परियोजना का मुख्य कार्यपालक विनय कुमार सिंह को बनाया गया है. पहले चरण में 3 कॉरिडोर का निर्माण कराया जा रहा हैं जिनमे दिल्ली-गाज़ियाबाद- मेरठ, दिल्ली-पानीपत और दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी शामिल है. 

भारत मे लागू होने वाली अपने किस्म की ये पहली परियोजना है. अभी तक मेट्रो के जरिए लोग शहर के अंदर सफर करते थे. इससे अलग आरआरटीएस अर्द्ध शहरी और शहरी केंद्रों को जोड़ा जाएगा.

100 किमी/घंटा की स्पीड से चलेगी ट्रेन

आरआरटीएस प्रोजेक्ट में मेट्रो और भारतीय रेल से अलग कई खूबियां हैं. यह इस प्रोजेक्ट ट्रेन 180 किलोमीटर की अधिकतम गति से चल सकती है और प्रति घंटा 160 किलोमीटर ये संचालित होगी. इस ट्रेन की औसत गति 100 किलोमीटर प्रति घंटा और ये 60 मिनट से भी कम समय मे दिल्ली से मेरठ की दूरी तय करेगी. 9 कोच की ये ट्रेन विपरीत मौसम में भी चलेगी. 

भारत में पहली योजना

भारत में यह पहली योजना है. इससे पहले आरआरटीएस जैसे ट्रेन पेरिस, लंदन, मैड्रिड, बर्लिन, टोकियो, बीजिंग आदि जगहों पर चल रही है. आरआरटीएस से लोगों को वर्तमान साधनों की तुलना में समय की बड़ी बचत होगी. इस ट्रेन से दिल्ली और आसपास के लोगो को अब एनसीआर से दूर बसने और काम करने में आने-जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी. 

इस योजना में सबसे ज्यादा ध्यान मुलतिमॉडल इंटीग्रेशन सिस्टम पर दिया जा रहा है. इस सिस्टम के जरिये इस योजना को मेट्रो, रेल सिस्टम, बस अड्डों से भी जोड़ा जाएगा. ताकि लोगों को इस ट्रेन में सफर करने के लिए सार्वजनिक यातायात के साधनों से दूर न जाना पड़े. 

बड़े पैमाने पर रोजगार

इस योजना के चलते लोग लंबी लंबी दूरी को आसानी से तय करेंगे और पहले ही चरण में 21,000 रोजागर के अवसर पैदा होने की संभावना है. पहले चरण में 3 कॉरिडोर सराय काले खां से ही जुड़ेंगे. ताकि लोग अपनी गाड़ी बदले बिना ही एक सिरे से दूसरे सिरे तक सफर कर सके. आरआरटीएस की प्रत्येक गाड़ी में बिजनेस क्लास भी बनाया गया है ताकि संपन्न लोग भी अपने वाहन छोड़ कर इससे ट्रेवल कर सके. 

इस ट्रेन के चलने से सड़कों पर हो रही दुर्घटनाओं में काफी कमी आने की संभावना भी है. सड़कों पर वाहनों के कम होने से प्रदूषण में भी काफी कमी आएगी. आरआरटीएस के सभी कॉरिडोर जहां भी आपस में जुड़ते हैं, दिल्ली मेट्रो की सभी 7 लाइनों को इससे जोड़ा जाएगा. 

भारत मे बनाने वाला पहला आरआरटीएस कॉरिडोर दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ 82 किलोमीटर लंबा होगा. डीपीआर के मुताबिक 2024 तक इस कॉरिडोर का संचालन शुरू हो जाएगा. इस कॉरिडोर की शुरुआत सराय काले खां से होगी और मोदीपुरम मेरठ में समाप्त होगी. इस कॉरिडोर के 2 मेंटेनेंस डिपो होंगे. एक दुहाई और एक मोदीपुरम मेरठ में. इस योजना की खास बात ये है कि गाज़ियाबाद से मेरठ की ओर जाने वाली मेट्रो और आरआरटीएस को एक ही पटरी पर दौड़ने की योजना है. जिससे करीब 6300 करोड़ रुपये की बचत होगी. 

(रिपोर्ट- पवन त्रिपाठी/नई दिल्ली)