Tax Saving: अभी से शुरू कर दें प्लानिंग, इन 12 जगहों पर बचा सकते हैं इनकम टैक्स
Tax saving: सैलरीड क्लास टैक्सपेयर्स को चाहिए कि वो वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही टैक्स सेविंग का भी प्लान शुरू कर दें.
वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही टैक्स सेविंग शुरू कर देनी चाहिए. (Image: Representational)
वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही टैक्स सेविंग शुरू कर देनी चाहिए. (Image: Representational)
Tax Saving/Planning: फाइनेंशियल ईयर 2021-22 अप्रैल से शुरू हो गया है. ऐसे में सैलरीड क्लास टैक्सपेयर्स को चाहिए कि वो वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही टैक्स सेविंग का भी प्लान शुरू कर दें. टैक्सपेयर्स अलग-अलग सेविंग्स और फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स में निवेश कर इनकम टैक्स के अलग-अलग सेक्शन में टैक्स छूट ले सकते हैं. जैसेकि, स्माल सेविंग्स स्कीम्स, होम लोन, लाइफ इंश्योरेंस, मेडिकल इंश्योरेंस, बच्चों की स्कूल फीस पर आप टैक्स छूट हासिल कर सकते हैं. इस बारे में हमने टैक्स मामलों के जानकार CA मनीष गुप्ता से बात की. उन्होंने सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए ये 12 सेक्शन बताएं, जिनके जरिए टैक्स सेविंग की जा सकती है.
सेक्शन 80C
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत आप अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक इन्वेस्टमेंट कर टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं. सेक्शन 80C के तहत लाइफ इन्श्योरेंस प्रीमियम, ELSS, EPF कंट्रीब्यूशन, एन्युटी प्लान के प्रीमियम पेमेंट, पोस्ट ऑफिस स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स, PPF, टैक्स सेवर FD, सुकन्या समृद्धि स्कीम, Ulip, LIC के एन्युटी प्लान में कॉन्ट्रीब्यूशन, NPS में निवेश, नाबार्ड बॉन्ड और होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट का रिपेमेंट कर टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं. इसके अलावा बच्चों की ट्यूशन फीस के जरिए भी 80सी के तहत टैक्स बचा सकते हैं.
सेक्शन 80CCC
इनकम टैक्स के इस सेक्शन के तहत कोई व्यक्ति इंश्योरेंस पॉलिसी के किसी भी एन्युटी प्लान में इन्वेस्टमेंट पर टैक्स बचा सकता है. बशर्ते, यह प्लान पेंशन देने वाला होना चाहिए. यह जान लें कि एन्युइटी प्लान से हासिल पेंशन या इस प्लान को सरेंडर किए जाने पर मिलने वाला ब्याज सहित अमाउंट या बोनस टैक्सेबल होता है. यानी, इस पर टैक्स देना होता है.
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सेक्शन 80CCD
सेक्शन 80CCD (1) पेंशन अकाउंट में डिपॉजिट करने वाले व्यक्ति को टैक्स में छूट दिलाता है. इसके तहत सैलरीड इंप्लॉई अपनी सैलरी का 10 फीसदी तक पेंशन अकाउंट में जमा कर छूट पा सकता है, जो अधिकतम 1.5 लाख रुपये है.
नए section 80CCD (1B) के जरिए सैलरीड व्यक्ति अपनी तरफ से NPS अकाउंट में डिपॉजिट कर अतिरिक्त टैक्स छूट पा सकता है. यह 50,000 रुपये तक की होगी.
(नोट: सेक्शन 80C, 80CCC और 80CCD (1B) के तहत कुल मिलाकर 1.5 लाख रुपये से ज्यादा की टैक्स छूट का लाभ नहीं लिया जा सकता है.)
सेक्शन 80TTA
इनकम टैक्स के सेक्शन 80TTA के तहत किसी भी बैंक, पोस्ट ऑफिस या को-ऑपरेटिव सोसायटी में सेविंग्स अकाउंट से 10,000 रुपये तक का ब्याज टैक्स फ्री होता है. इसका लाभ व्यक्ति या HUF (Hindu Undivided Family) ले सकते हैं. हालांकि इसके तहत FD, RD या कॉरपोरेट बॉन्ड से हासिल ब्याज टैक्स फ्री नहीं होता है.
सेक्शन 80GG
इनकम टैक्स के इस सेक्शन के तहत उन लोगों को घर के किराए पर टैक्स छूट मिलती है, जिन्हें सैलरी के साथ HRA (House Rent Allowance) नहीं मिलता है. साथ ही टैक्स देने वाले, उसकी पत्नी या नाबालिग बच्चे के पास कोई रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी नहीं होनी चाहिए.
इस सेक्शन के तहत किराए पर छूट इस तरह है-
- रेंट पेड माइनस कुल एडजस्टेड इनकम का 10 फीसदी
- प्रतिमाह 5000 रुपये
- एडजस्टेट इनकम का 25 फीसदी
सेक्शन 80E
हायर स्टडी के लिए गए लोन पर इस सेक्शन में छूट मिलती है. लोन टैक्सपेयर, पत्नी, बच्चे या फिर किसी भी ऐसे स्टूडेंट के लिए हो सकता है, जिसका टैक्सपेयर कानूनी रूप से गार्जियन हो. टैक्स छूट का लाभ रिपेमेंट शुरू किए जाने वाले साल से 8 साल तक या पूरा ब्याज चुकता हो जाने, जो भी अवधि पहले खत्म हो तक लिया जा सकता है.
सेक्शन 80D
सेक्शन 80D के तहत पत्नी, बच्चों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पर 25,000 रुपये तक की टैक्स छूट पा सकते हैं. अगर आपके पेरेंट्स की उम्र 60 साल से कम है और आप उनके लिए हेल्थ इन्श्योरेंस प्रीमियम का भुगतान कर रहे हैं तो आप इस 25000 रुपये की छूट के अलावा 25,000 रुपये तक की अतिरिक्त टैक्स छूट पा सकते हैं. वहीं अगर माता-पिता 60 साल से ज्यादा उम्र के हैं तो यह छूट 50,000 रुपये तक की होगी. अगर किसी टैक्सपेयर और उसके पेरेटेंस दोनों की उम्र 60 साल या उससे ज्यादा है तो इस सेक्शन के तहत इंश्योरेंस प्रीमियम के जरिए अधिकतम 1 लाख रुपये तक की टैक्स छूट पाई जा सकती है.
सेक्शन 80DD
इस सेक्शन के तहत टैक्सपेयर खुद पर निर्भर किसी दिव्यांग रिश्तेदार के मेडिकल ट्रीटमेंट, ट्रेनिंग आदि पर टैक्स छूट ले सकता है. इसमें उस दिव्यांग रिश्तेदार की देखभाल के लिए किसी विशिष्ट स्कीम में डिपॉजिट भी छूट के दायरे में आता है.
- अगर निर्भर रिश्तेदार 40 फीसदी या इससे ज्यादा लेकिन 80 फीसदी से कम डिसेबल है तो टैक्स में 75000 रुपये की छूट मिलेगी.
- अगर रिश्तेदार गंभीर रूप से डिसेबल है यानी 80 फीसदी से ज्यादा तो टैक्स छूट 1.25 लाख रुपये रहेगी.
- इस क्लेम के लिए किसी मान्य मेडिकल अथॉरिटी से डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट जरूरी होगा.
सेक्शन 80DDB
इनकम टैक्स के सेक्शन 80DDB के तहत कुछ चुनिंदा बीमारियों के मामले में आप अपने या आप पर निर्भर परिवार के सदस्य के इलाज पर अधिकतम 40,000 रुपये टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं. सीनियर सिटीजन के इलाज के मामले में 1 लाख रुपये तक के मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट ली जा सकती है. इसके लिए आपको इलाज का बिल शो करना होगा. हालांकि अगर इलाज का खर्च इंश्योरेंस कंपनी या इंप्लॉयर की ओर से रिंबर्स किया गया है तो इस अमाउंट को घटाने के बाद बचे खर्च पर टैक्स छूट मिलेगी.
सेक्शन 80U
इनकम टैक्स के इस सेक्शन के तहत अगर कोई व्यक्ति शारीरिक या मानसिक तौर पर दिव्यांग है तो वह सेक्शन 80U के तहत 75,000 रुपये तक की टैक्स छूट ले सकता है. इसमें ब्लाइंडनेस भी शामिल होगी. गंभीर रूप से शारीरिक दिव्यांगता के मामले में टैक्स छूट 1.25 लाख रुपये तक हो सकती है.
सेक्शन 80G
सेक्शन 80G के तहत निर्धारित संगठनों को डोनेशन देकर टैक्स में छूट हासिल किया जा सकता है. यह छूट कुछ मामलों में 100 फीसदी तक तो कुछ में 50 फीसदी तक या किसी में बिना लिमिट वाली हो सकती है. हालांकि कैश में 2000 रुपये से ज्यादा की डोनेशन पर छूट नहीं मिलेगी. सरकार ने पिछले साल राम मंदिर निर्माण में चंदा देने को भी 80जी के दायरे में लाद दिया है. इसके अलावा, एक सेक्शन 80GGC के तहत भी टैक्सपेयर छूट का हकदार होता है. इसके तहत किसी टैक्सपेयर द्वारा किसी पॉलिटिकल पार्टी या इलेक्टोरल ट्रस्ट को दिए गए चंदे पर टैक्स में छूट पाई जा सकती है. हालांकि यह कैश में नहीं होना चाहिए.
सेक्शन 80TTB
इनकम टैक्स के इस नए सेक्शन के तहत सीनियर सिटीजन को डिपॉजिट्स पर हासिल हुए 50000 रुपये तक का ब्याज टैक्स फ्री है.
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01:52 PM IST