Tax-Free Income: भारतीय आयकर कानून के तहत ऐसे कई प्रावधान हैं, जिनके तहत आम टैक्सपेयर्स को कई तरीकों से टैक्स पर छूट दी जाती है. उनकी सैलरी, निवेश और खर्चों पर कई तरह की रियायतें दी जाती हैं. किसी भी तरह की आय कमाने वाले शख्स को हर साल अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होता है, भले ही उसपर टैक्स देनदारी बनती हो या नहीं. लेकिन लोगों पर टैक्स का बोझ ज्यादा न पड़े इसके लिए ऐसे कई आय के स्रोत हैं, जिनको सरकार ने टैक्स देनदारी के दायरे से ही बाहर कर दिया है. प्रॉविडेंट फंड, इंश्योरेंस प्रीमियम, पोस्ट ऑफिस की निवेश योजनाएं ऐसे कई आय के स्रोत हैं, जिनपर आपको टैक्स छूट मिलती है, लेकिन इसके अलावा भी कुछ इनकम सोर्स हैं या ऐसे रास्ते हैं जहां से हुए आपके मॉनेटरी बेनेफिट पर आपको टैक्स नहीं देना होता. हम आपको ऐसे पांच रास्तों के बारे में बता रहे हैं, Income Tax Act, 1961 के तहत आपको इन पांच आय-स्रोतों पर टैक्स नहीं देना होता है.

1. पार्टनरशिप में कंपनी से मिला प्रॉफिट

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सेक्शन 10(2A) के मुताबिक, अगर आप किसी कंपनी में पार्टनर हैं तो जो शेयर ऑफ प्रॉफिट है, उसपर आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा, क्योंकि कंपनी इस प्रॉफिट पर पहले ही टैक्स चुका देती है तो आपके हिस्से में आए प्रॉफिट पर आपको अलग से टैक्स नहीं भरना होता है. हां, ये याद रखिए कि आपके प्रॉफिट के हिस्से पर टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन जो आपकी सैलरी है उसपर आपको टैक्स भरना होगा. साथ कैपिटल इंटरेस्ट और रिमनरेशन पर भी टैक्स की देनदारी बनेगी.

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2. VRS में मिला हुआ पैसा

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 10(10C) के तहत VRS यानी voluntary retirement या स्वेच्छा से रिटायर होने वाले लोगों को जो रकम मिलती है, उसपर कोई टैक्स नहीं लगता है. इसमें शर्त ये है कि रिटायरमेंट ले रहा इंप्लॉई किसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी का कर्मचारी होना चाहिए, न कि निजी. वहीं, 5 लाख तक की रकम पर ही उसे कोई टैक्स नहीं देना होगा. इससे ऊपर की रकम टैक्सेबल होगी.

3. उत्तराधिकार में मिली संपत्ति

उत्तराधिकार या विरासत में मिली संपत्ति पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होता है. यानी कि अगर आपके माता-पिता आपके नाम कोई संपत्ति छोड़ते हैं तो उसके ट्रांसफर पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा, लेकिन अगर आप इस संपत्ति से कोई आमदनी कमाते हैं, तो उसपर आपको टैक्स देना होगा.

4. इक्विटी या म्युचुअल फंड से मिला रिटर्न

इक्विटी या म्युचुअल फंड में निवेश को कैपिटल गेन में डाला गया है. अगर आपका एक वित्त वर्ष में रिटर्न 1 लाख से कम होना चाहिए. इससे ज्यादा का रिटर्न आने पर आपको स्कीम के टाइप के हिसाब से टैक्स देना होता है. इक्विटी फंड्स में शॉर्ट टर्म यानी 12 महीने से कम समय के निवेश कर रहे हैं, तो आपको 15 फीसदी की दर टैक्‍स देना होगा. वहीं, अगर आप 12 महीने से ज्‍यादा यानी लॉन्‍ग टर्म निवेश कर रहे हैं और आपको कैपिटल गेन 1 लाख रुपये से ज्‍यादा हुआ है, तो आपको कोई टैक्‍स नहीं देना होगा. हालांकि, अगर आपका गेन 1 लाख रुपये से ज्‍यादा है तो आपकी टैक्‍स देनदारी 10 फीसदी होगी.

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5. NPS से की गई आंशिक निकासी पर

रिटायरमेंट स्कीम नेशनल पेंशन स्कीम ट्रस्ट में निवेश करने वाले लोगों को आंशिक निकासी करने की अनुमति है. सेक्शन 10 के अंदर नया क्लॉज 12B डाला गया है, जिसमें कुछ शर्तों के साथ टैक्स में छूट दी गई है. एक शर्त तो ये है कि आप जो अमाउंट निकाल रहे हैं वो वो कुल कॉन्ट्रिब्यूशन के 25% से ज्यादा नहीं होना चाहिए. दूसरा, आंशिक निकासी PFRDA (Pension Regulatory and Development Authority) के नियमों के अनुसार ही होनी चाहिए.