Sovereign Gold Bond में करना चाहते हैं निवेश तो जान लें इसके फायदे और नुकसान
गोल्ड बॉन्ड के अपने ढेरों फायदे हैं. इसपर आपको सालाना 2.4 फीसदी का ब्याज मिलता है. वहीं सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के कुछ नुकसान भी हैं जो आपको निवेश से पहले जान लेना चाहिए.
Sovereign Gold Bond स्कीम को भारतीय रिजर्व बैंक जारी करता है. इस स्कीम के जरिए ग्राहकों को सस्ते में सोना खरीदने का मौका मिलता है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में आप कमर्शियल बैंकों के अलावा मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों NSE, BSE, स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और पोस्ट ऑफिस के जरिए निवेश कर सकते हैं. चूंकि इन बॉन्ड्स को सरकार की ओर से RBI की तरफ से जारी किया जाता है और उन्हें सरकारी गारन्टी के साथ दिया जाता है इसलिए निवेशकों को इसमे फायदे की उम्मीद ज्यादा दिखती है. हालांकि अन्य विकल्पों की तरह ही गोल्ड बॉन्ड में निवेश के फायदे और नुकसान दोनों ही होते हैं.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के फायदे (Advantages of SGB)
गोल्ड बॉन्ड के अपने ढेरों फायदे हैं. इसपर आपको सालाना 2.4 फीसदी का ब्याज मिलता है, जिसका हर छह महीने पर भुगतान किया जाता है. वहीं, बाजार में भाव बढ़ने पर आपके निवेश का मूल्य भी बढ़ता है. इसके अलावा भी कई फायदे हैं-
1. ब्याज भुगतान
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना के सबसे बड़े लाभों में से एक ब्याज भुगतान है. सरकार आपके SGB निवेश पर एक निश्चित वार्षिक ब्याज दर प्रदान करती है. इस ब्याज भुगतान को दो भागों में बांटा गया है और निवेशक को हर 6 महीने में भुगतान किया जाता है. भले ही सोने की कीमत बढ़े या गिरे, आपको ब्याज मिलने की गारंटी है.
2. कागज और डीमैट फॉर्मेट
फिजिकल सोने के स्टोरेज की लागत और चिंता को खत्म करने के लिए, SGB कागज और डीमैट फॉर्मेट में मौजूद है. जब आप SGB में निवेश करते हैं, तो आपको फिजिकल सोना नहीं बल्कि होल्डिंग सर्टिफिकेट मिलता है. इसका मतलब है कि आपको सोने की सुरक्षा के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है या इसे बैंक लॉकर में रखने के लिए एनुअल चार्ज का भुगतान नहीं करना है. इसके चोरी होने का भी कोई जोखिम नहीं होगा.
3. टैक्स छूट
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना में टैक्स लाभ भी मिलता है. आपके SGB निवेश से प्राप्त ब्याज पर कोई टीडीएस लागू नहीं है. आपको मैच्योरिटी से पहले बांड को ट्रांसफर करने और इंडेक्सेशन लाभ प्राप्त करने की भी अनुमति है. अगर आप मैच्योरिटी के बाद बांड तोड़ते हैं, तो कैपिटल गेन टैक्स से भी छूट मिलेगी.
गोल्ड बॉन्ड में निवेश के नुकसान (Disadvantages of SGB)
1. मैच्योरिटी
8 साल की लंबी मैच्योरिटी अवधि के कारण बहुत से निवेशक सोने के बोंड से नाखुश हैं. हालांकि, यह लंबी अवधि वास्तव में सबसे महत्वपूर्ण स्वर्ण बांड लाभों में से एक है. सरकार ने सोने की कीमत में उतार-चढ़ाव से निवेशकों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए मैच्योरिटी पीरियड लंबी रखी है. यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि निवेशक निवेश की तारीख से 5 साल के बाद भी बोंड को रिडीम कर सकते हैं.
2. कैपिटल लॉस
अगर सोने की कीमतों में गिरावट आती है तो इसका नुकसान केवल निवेशक को ही उठाना पड़ता है. सोने की कीमतों में गिरावट गोल्ड बॉण्ड पर नकारात्मक रिटर्न देती है. इस लिहाज से गोल्ड बॉन्ड में निवेश का यह एक बड़ा नुकसान है.
3. निकासी नहीं है आसान
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में अगर आपको पांच वर्ष से पहले पैसों की जरूरत है तो इसमें निकासी मुमकिन नहीं है, ऐसा इसलिए क्योंकि यह लिक्विड नहीं होता है. लिक्विडिटी की जरूरत भविष्य के किसी भी लक्ष्य को या फिर अनिश्चित खर्चों को पूरा करने के लिए ही नहीं होती है बल्कि यह उस स्थिति में भी काम आती है जब आपका निवेश अन्य विकल्पों की तुलना में बेहतर रिटर्न नहीं दे रहा होता है.
(Note: यहां दी गई जानकारी ICICI Bank की ऑफिशियल साइट से ली गई है.)