सरकार किसानों को ऋण तो बांट देती है, लेकिन उन्हें उम्मीद के मुताबिक कर्ज नहीं मिल पाता. हर बार किसानों की यही पीडा रहती है कि उन्हें साख सीमा के अनुसार लॉन नहीं मिलता. ऋण वितरण में व्यवस्थापकों पर भी ये आरोप लगते रहे हैं कि अपने नजदीकी किसानों को फसली ऋण योजना के जरिए अधिक लाभ पहुंचाने की कोशिश करते हैं. लेकिन अब लाख कोशिशों के बावजूद भी ऐसा नहीं हो पाएगा. क्योंकि, इस बार वेब पोर्टल के जरिए किसानों को लॉन दिया जाएगा.

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राजस्थान में इस बार किसानों को उनकी जमीन के मुताबिक लॉन दिया जाएगा. अशोक गहलोत सरकार किसानों को ऋण बांटने के लिए नई व्यवस्था शुरू करने जा रही है, जिसमें किसानों की अधिकतम साख सीमा पर कोई विवाद नहीं होगा. इस बार व्यवस्थापक के हाथ किसानों की साख सीमा तय करने का पॉवर नहीं होगी बल्कि, ये पॉवर तो एक साफ्टवेयर को दी गई है. फसली ऋण वितरण साफ्टवेयर खुद तय करेगा कि किस किसान को कितना लॉन मिलेगा.

किसानों को अधिकतम साख सीमा की स्वीकृति या अस्वीकृति के लिए समिति बनाई गई है. ये समिति 10 दिन में पूरी कार्यवाही करेगी. दस दिन में कार्यवाही नहीं होने पर समस्त पंजीकृत किसानों की एमसीएल स्वीकृत मानकर बैंक शाखा आगे की कार्यवाही करेगी. इसके अलावा पंजीकृत किसान आवेदकों की अधिकतम साख सीमा को पोर्टल अस्वीकृत करता है तो ऐसे आवेदकों की जांच के लिये प्रत्येक शाखा पर जीआरए की नियुक्ति की जाएगी. जीआरए इन मामलों का निपटारा करेगा.

इस बार नई फसली ऋण व्यवस्था में किसान बैंक की शाखा से लॉन नकद प्राप्त करने के अलावा रूपे किसान डेबिट कार्ड के जरिए एटीएम से प्राप्त कर सकेगा. इसके अलावा किसान को सहूलियत देने के लिए समिति में एफआईजी यानी फाइनेंशियल इंक्लूजन गेटवे के माध्यम से ऋण प्राप्त करने की व्यवस्था की गई है. किसान रूपे डेबिट कार्ड के माध्यम से ऋण वितरण किये जाने से डिजिटल और कैशलेस व्यवस्था को बल मिलेगा.

(जयपुर से आशीष चौहान की रिपोर्ट)