पशुओं का भी कराएं बीमा, किसानों को नहीं होगा नुकसान, जानें पूरा तरीका
हर राज्य में पशुओं का बीमा प्रीमियम और कवरेज राशि भी अलग-अलग होती है.
किसी अनहोनी की संभावना को ध्यान में रखते हुए हम खुद का, अपने परिवार का, अपने घर, गाड़ी और सामान की बीमा (Insurance) करवाते हैं. लेकिन खेती-किसानी का आधार माने जाने वाले पशुधन के बीमा के बारे में सोचते तक नहीं हैं.
लेकिन बीमारी, मौसम या दुर्घटना से होने वाली पशु की मौत से एक किसान को बहुत ज्यादा नुकसान होता है. क्योंकि आजकल पशुधन भी लगातार महंगा होता जा रहा है. अच्छी मात्रा में दूध देने वाली गाय-भेंस भी लाख रुपये से ज्यादा की आती है. अगर घोड़ा, ऊंट की बात की जाए तो इनकी कीमत कई लाख की होती है.
इसलिए जरूरी है कि अन्य सामान की तरह भी पशुधन का बीमा (Livestock Insurance) कराया जाए. राज्य सरकार पशुओं के बीमा के लिए समय-समय पर अलग-अलग योजनाएं निकालती हैं. खास बात ये है कि पशुओं के बीमा के प्रीमियम का एक बड़ा हिस्सा केंद्र या राज्य सरकारें वहन करती हैं.
उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो पशु बीमा योजना में बीमा प्रीमियम का 70 हिस्सा पशु पालन विभाग की ओर से दिया जाता है.
आजकल तो लाइफ, मेडिकल या ऑटो इंश्योरेंस की तरह पशुओं का बीमा भी ऑनलाइन करवाया जा सकता है. पशु बीमा में इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसी के रूप में पशुपालक को एक कार्ड जारी करती है.
हर राज्य में पशुओं का बीमा प्रीमियम और कवरेज राशि भी अलग-अलग होती है. जैसे- उत्तर प्रदेश में गाय या भेंस के 50,000 बीमा कवरेज के लिए प्रीमियम राशि पशुओं की नस्ल के आधार पर 400 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक है. इस बीमा प्रीमियम में भी राज्य सरकार किसानों की जाति तथा आर्थिक हालात के आधार पर सब्सिडी भी देती है.
बीमारी या दुर्घटना से बीमित पशु की मौत होने पर 100 परसेंट बीमा कवरेज दिया जाता है. पशुओं के कान पर लगा टैग उनके बीमा होने को दिखाता है.
इस तरह होगा पशु का बीमा
किसानों को अपने पशु का इंश्योरेंस करवाने के लिए अपने जिले के पशु चिकित्सालय में बीमा के लिए जानकारी देनी होगी. पशु डॉक्टर और बीमा कंपनी का एजेंट किसान के घर जाकर वहां पशु के स्वास्थ की जांच करता है. पशु के स्वस्थ्य होने पर एक हेल्थ सर्टिफिकेट जारी किया जाता है.
पशु का बीमा करने के दौरान बीमा कंपनी द्वारा पशु के कान में टैग लगाया जाता है. किसान की अपने पशु के साथ एक फोटो ली जाती है. इसके बाद बीमा पॉलिसी जारी की जाती है.
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अगर पशु के कान से बीमा वाला टैग कहीं गिर जाता है तो किसानों को इसकी सूचना फौरन बीमा कंपनी को देनी होगी.
पशु बीमा कवरेज का हिस्सा
- कुदरती आपदा जैसे- बाढ़, चक्रवात, अकाल, भूकंप समेत किसी कुदरती कहर के कारण पशु की मौत होने पर.
- किसी बीमारी या फिर बीमार के उपचार के लिए किए जा रहे ऑपरेशन के दौरान पशु की मौत होने पर.
- हड़ताल, दंगा, नागरिक अभियान जोखिम या किसी आतंकवादी वारदात में पशु की मौत होने पर.