मुंबई: केवल एक तिहाई भारतीय ही अपने रिटायरमेंट के लिए नियमित रूप से बचत करते हैं. एचएसबीसी की ताजा रिपोर्ट 'फ्यूचर ऑफ रिटायरमेंट: ब्रिजिंग दि गैप' के मुताबिक रिटायरमेंट के लिए बचत में कमी का एक कारण ये हो सकता है कि लोगों को इस बात का अंदाज नहीं है कि सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें कितने पैसों की जरूरत है. इसके अलावा तत्काल सिर पर खड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए अक्सर वृद्धावस्था की प्लानिंग को नजरअंदाज कर दिया जाता है.

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एचएसबीसी इंडिया के रिटेल बैंकिंग और संपत्ति प्रबंधन प्रमुख रामकृष्णन ने बताया, 'खुशी की बात है कि कई लोग रिटायरमेंट की प्लानिंग अंतिम वक्त के लिए टालते नहीं हैं. इसकी प्लानिंग लंबे समय के दौरान करनी चाहिए. इसके साथ ही 65 साल की उम्र में हमारी जरूरतें, 75 या 85 साल के मुकाबले एकदम अलग हो सकती हैं. इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए.'

16 देशों में हुआ सर्वे 

इस रिपोर्ट के लिए इप्सॉस ने एचएसबीसी की तरफ से ऑनलाइन सर्वे किया. इसमें ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, कनाडा, चीन, मलेशिया, मेक्सिको, सिंगापुर, ताइवान, फ्रांस, हांगकांग, भारत, इंडोनेशिया, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, यूके और अमेरीका सहित 16 देशों के 16,000 लोगों से बात की गई. सर्वे में पाया गया कि केवल 19 प्रतिशत कामकाजी लोग भविष्य को बेहतर बनाने के लिए बचत करते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 56 प्रतिशत लोग सिर्फ शार्ट टर्म लक्ष्यों के लिए ही बचत करते हैं. 

सर्वे में करीब आधे लोगों ने ये माना कि वो अपने आज को इंज्वाय करने को तरजीह देते हैं, बजाए कि भविष्य की खुशहाली के लिए बचत करने को. रिपोर्ट के मुताबिक रिटायरमेंट के लिए जरूरी बचत नहीं करने का एक परिणाम ये है कि करीब 69 लोगों को रियाटरमेंट के बाद भी कुछ समय तक काम करना पड़ सकता है. ये काम बिजनेस या किसी नए उद्यम के रूप में भी हो सकता है.