Mutual Funds: डबल मुनाफा कराती है ये स्कीम, शानदार रिटर्न भी देगी और इनकम टैक्स भी बचाएगी
म्यूचुअल फंड्स कई तरह के होते हैं. आमतौर पर इसमें किया गया निवेश टैक्स के दायरे में आता है. लेकिन एक स्कीम ऐसी है जो आपको टैक्स बेनिफिट भी देती है. जानिए इस स्कीम के बारे में.
अगर आप अपने निवेश को लेकर बहुत जोखिम नहीं लेना चाहते हैं और ज्यादा से ज्यादा ब्याज भी कमाना चाहते हैं, तो म्यूचुअल फंड्स बेहतर स्कीम साबित हो सकती है. सीधे स्टॉक में निवेश करने की तुलना में इसमें जोखिम कम होता है. इसके अलावा कंपाउंडिंग ब्याज का फायदा मिलता है. MF का रिटर्न भी दूसरी तमाम स्कीम्स की तुलना में बेहतर है. हालांकि मार्केट बेस्ड स्कीम होने के कारण ये फिक्स्ड नहीं है, लेकिन एक्सपर्ट लॉन्ग टर्म में इसका औसत रिटर्न 12 फीसदी मानते हैं.
म्यूचुअल फंड्स कई तरह के होते हैं. आमतौर पर इसमें किया गया निवेश टैक्स के दायरे में आता है. लेकिन एक स्कीम ऐसी है जो आपको टैक्स बेनिफिट भी देती है. इस स्कीम को इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (Equity Linked Saving Scheme-ELSS) कहा जाता है. इस स्कीम के जरिए आप बेहतर ब्याज का फायदा लेने के साथ इनकम टैक्स भी बचा सकते हैं.
क्या है ELSS
ELSS फंड में कुल असेट का कम से कम 80 फीसदी इक्विटी में निवेश किया जाता है. जोखिम को कम करने के लिए इस फंड का पैसा अलग-अलग सेक्टरों की कंपनियों में लगाया जाता है. ELSS में आपको अपने बजट और सुविधा के हिसाब से स्कीम चुनने का विकल्प मिलता है. आप इसमें महज 500 रुपए से भी निवेश शुरू कर सकते हैं. वहीं अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है. एक्सपर्ट्स की मानें तो ईएलएसएस में लंबे समय का निवेश बेहतर रिटर्न दे सकता है. ऐसे में ये वेल्थ क्रिएशन की काबिलियत रखता है.
तीन साल का लॉक इन पीरियड
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स में आप पैसा एकमुश्त भी जमा कर सकते हैं और SIP के जरिए भी कर सकते हैं. इसका लॉक इन पीरियड एनएससी, टैक्स सेविंग एफडी जैसी स्कीम्स की तुलना में कम समय का होता है. इन स्कीम्स का लॉक इन पीरियड पांच साल का होता है, जबकि ELSS का लॉक इन पीरियड सिर्फ तीन साल का होता है.इसके बाद आप जब चाहे पैसा निकाल सकते हैं या अपने निवेश को जारी रख सकते हैं.
लॉक इन पीरियड के बाद मिलते हैं टैक्स बेनिफिट्स
ELSS स्कीम्स से 3 साल बाद अगर आप रकम निकासी करते हैं तो टैक्स बेनिफिट मिलता है. इसमें इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपए की अधिकतम सीमा तक आयकर छूट मिलती है. इस डिडक्शन का फायदा आपको सिर्फ पुरानी टैक्स व्यवस्था में मिलेगा. इसके अलावा दूसरी टैक्स छूट आपको निवेश पर मिलने वाले रिटर्न पर मिलती है. दरअसल इसमें मिलने वाले रिटर्न पर भी कैपिटल गेन टैक्स लगता है. ELSS पर 1 लाख रुपए तक लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स फ्री रहता है. इससे ज्यादा के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. इसके अलावा सेस और सरचार्ज देना होता है.