Child Mutual Funds: आम तौर पर, भारत में हर नई जेनरेशन अपने माता-पिता के जेनरेशन से बेहतर स्थिति में रही है, चाहे सामाजिक आर्थिक पहलू हो या फाइनेंशियल स्थिति. ऐसा इसलिए भी संभव हो पाता है क्योंकि ज्यादातर भारतीय माता-पिता अपने बच्चों के लिए बेहतर भविष्य के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग पर फोकस करते हैं. जबकि उम्मीदें और जरूरतें समय के साथ बढ़ती हैं, वैसे ही उन योजनाओं को साकार करने की लागत भी बढ़ती है, खासकर जब हायर एजुकेशन जैसे जरूरी खर्चों पर महंगाई के असर पर विचार किया जाता है. पहले के समय में भारतीय पैरेंट्स बच्चों के शादी विवाह जैसे पारंपरिक लक्ष्य पूरा करने के लिए बचत करते थे और वे निवेश के लिए नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) या लंबी अवधि की फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) योजनाओं को प्राथमिकता देते थे.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

वहीं, आज के पैरेंट्स अपने बच्चों के लिए शादी के पहले भी कई लक्ष्‍य को प्राथमिकता दे रहे हैं - जैसे हायर एजुकेशन, चाहे वह इंजीनियरिंग और मेडिकल हो या  एमबीए और इंटरनेशनल स्टडीज हो. इन पर आने वाला खर्च भी शादी की लागत जितना ही महंगा हो गया है. अब पैरेंट्स को ऐसे विकल्‍पों में समझदारी से निवेश करने की जरूरत है, जिसमें न उन्हें सिर्फ अपनी दौलत को बढ़ाने में मदद मिले, बल्कि इतना कॉर्पस जमा हो पाए कि उनके बच्‍चों की जरूरतें या महत्वाकांक्षाएं भी पूरी हो सकें. साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि उनका निवेश महंगाई के साथ तालमेल बनाए रखने और उनके बच्चों को आगे बढ़ने में मदद करे.

ये भी पढ़ें- 7 दिन में तगड़ा रिटर्न, खरीद लें ये 5 स्टॉक्स

शिक्षा की बढ़ती लागत एक गंभीर चुनौती

बड़ौदा बीएनपी पारिबा एएमसी के सीईओ, सुरेश सोनी का कहना है कि जब बात अपने बच्चे के सपनों को पूरा करने की आती है, तो पैरेंट्स क्वालिटी से समझौता करने को तैयार नहीं होते हैं. वहीं दूसरी ओर शिक्षा की लागत आसमान छू रही है. एजुकेशन सर्विसेज में महंगाई सरकार द्वारा घोषित कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स नंबर्स की तुलना में लगभग दोगुनी चल रही है. कॉलेज की फीस में लगभग 11 फीसदी सालाना इनफ्लेशन के साथ, एक अच्छे एमबीए प्रोग्राम की लागत पिछले 20 साल में करीब 8 गुना बढ़ गई है. शिक्षा की लागत में इतनी तेज बढ़ोतरी का मतलब है कि कई परिवारों के लिए, अपने बच्चों की शिक्षा के लिए खर्च  एक वित्तीय बोझ बन गया है. इसलिए इसके लिए अगर अच्छी तरह से योजना नहीं बनाई गई, तो परेशानियां बहुत ज्यादा बढ़ सकती हैं और बच्चे अवसर चूक सकते हैं. उनका कहना है कि अधिकांश खर्चों के विपरीत, एजुकेशन पर आने वाली लागत एक जरूरी खर्च है.

इक्विटी लंबी अवधि में वेल्थ क्रिएशन का बेहतर विकल्प

अपने बच्चों के भविष्य के लिए बचत करने वाले पैरेंट्स निवेश के ऐसे विकल्पों की जरूरत होती है, जो महंगाई को मात दे सकें. ऐतिहासिक रूप से, इक्विटी एक दशक या उससे अधिक की अवधि में हाइएस्‍ट रियल रिटर्न वाला एसेट क्लास साबित हुआ है. रिसर्च से पता चलता है कि इक्विटी में लंबी अवधि के निवेश से इतना रिटर्न मिल सकता है, जितना कोई अन्य एसेट क्लास नहीं देता. कंपाउंडिंग की ताकत के कारण छोटा छोटा मंथली निवेश भी समय के साथ पर्याप्त कॉर्पस बना सकता है. उदाहरण के लिए, एक अच्छा प्रदर्शन करने वाले इक्विटी फंड में 20 साल में मंथली सिर्फ 9,000 रुपये का निवेश करने वाले किसी निवेशक को 1 करोड़ रुपये से अधिक फंड हासिल हो सकता  है. 

म्यूचुअल फंड में चाइल्ड प्लान के फायदे

बच्चों के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए म्यूचुअल फंड द्वारा पेश की जाने वाली चिल्ड्रन स्कीम एक बेहतर विकल्प हो सकती हैं. ये फंड अनुशासित निवेश और लॉन्‍ग टर्म ग्रोथ का एक आइडियल मिक्स प्रदान करते हैं. बच्चों के लिए ज्यादातर म्‍यूचुअल फंड योजनाएं 5 साल की लॉक-इन अवधि या जब बच्चा कानूनी रूप से वयस्क हो जाता है, जो भी पहले हो, के साथ आती हैं. इससे लंबी अवधि के लिए निवेश को बढ़ावा मिलता. यह सुविधा फंड मैनेजर्स को एक मजबूत रणनीति और भरोसे के साथ लंबी अवधि के लिए निवेश करने की अनुमति देती है. लंबी अवधि में निवेश पर कंपाउंडिंग की ताकत का भी फायदा मिलता है, जिससे निवेशकों का पैसा कई गुना बढ़ सकता है.

ये भी पढ़ें- आपके पास है ये शेयर? Sebi ने कंपनी को किया आगाह, 2 साल में दिया 120% रिटर्न

सुरेश सोनी का कहना है कि म्यूचुअल फंड के चाइल्‍ड प्‍लान में लॉक-इन अवधि के कारण इन योजनाओं में अनुशासन के साथ लंबी अवधि के निवेश को बढ़ावा मिलता है. वहीं दूसरी ओर इसमें पेशेवर फंड मैनेजर्स रिसर्च के आधार पर मजबूत स्टॉक का चयन करते हैं. ये दोनों बातें मिलकर इक्विटी मार्केट द्वारा प्रदान की जाने वाली कंपाउंडिंग का लाभ लेकर किसी निवेशक की पूंजी में तेजी से इजाफा कर सकते हैं. वहीं, अगर इसमें स्टेप-अप एसआईपी का भी विकल्प लेते हैं, तो निवेश की गई रकम में कई गुना इजाफा हो सकता है, वहीं इससे आपके बच्‍चों के तमाम सपने पूरे हो सकते हैं.

SIP और Step-UP SIP कैसे शुरू करें

निवेश की जल्द शुरुआत करना और नियमित रूप से निवेश करना उन पैरेंट्स के लिए विनिंग कॉम्बिनेशन हो सकता है जो अपने बच्चे के भविष्य के लिए पर्याप्त बचत करना चाहते हैं. एक सिस्‍टमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान (SIP), म्यूचुअल फंड द्वारा पेश किए जाने वाले चिल्ड्रन फंड (Children Funds) में निवेश करने का एक बेहतर विकल्प है, जिसमें जहां मंथली बेसिस पर एक तय रकम निवेश किया जाता है.

स्टेप-अप एसआईपी (Step Up SIP) के साथ, आप धीरे-धीरे अपना मंथली योगदान बढ़ा सकते हैं. जैसे जैसे आपकी इनकम बढ़े, उसी हिसाब से आप अपनी एसआईपी की राशि में इजाफा कर सकते हैं. इससे आप अपने बच्चे की जरूरतें शुरू होने तक एक बड़ा फंड तैयार कर सकते हैं.

एडिशनल फंड निवेश करने की फ्लेक्सिबिलिटी

बच्चों की योजनाएं एकमुश्त निवेश जोड़ने की सुविधा भी देती हैं. चाहे वह एनुअल बोनस हो या फैमिली से मिलने वाला बर्थडे गिफ्ट. ये योगदान सीधे आपके बच्चे के भविष्य के लिए एक मजबूत फंड बनाने की दिशा में जा सकते हैं. इस तरह की सुविधा यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी एडिशनल इनफ्लो का उपयोग आपके बच्चे के फाइनेंशियल कॉर्पस को बढ़ाने के लिए प्रभावी ढंग से किया जा सकता है, जिससे उन्हें अपने सपनों तक पहुंचने में मदद और मानसिक शांति मिलती है.

इक्विटी में लॉन्‍ग टर्म निवेश के जरिए पैरेंट्स एक ऐसा निवेश बना सकते हैं, जो उनके बच्चों के प्रति उनके प्यार के साथ-साथ बढ़ता जाता है. आज सोच समझकर और अनुशासित तरीके से की जाने वाली फाइनेंशियल प्लानिंग, कल बहुत बड़ा बदलाव ला सकती है, जिससे बच्चों को बिना किसी परेशानी का सामना करते हुए अपने सपनों को हासिल करने में मदद मिलेगी.

म्यूचुअल फंड के चाइल्‍ड प्‍लान (Children Plans) में निवेश करना सिर्फ रुपये पैसे से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह उस उम्‍मीद, प्यार और समर्थन का भी प्रमाण है, जो पैरेंट्स अपने बच्चे के भविष्य के लिए रखते हैं. तो उन सपनों को पूरा करने की दिशा में एक कदम उठाएं- अपने बच्चे की क्षमता के अनुरूप चमकदार भविष्य के लिए समझदारी से निवेश करना शुरू करें.