हर महीने अकाउंट में आएगा पैसा, SBI की Annuity Deposit स्कीम में करें सिंगल पेमेंट, जानें FD से कैसे है अलग
SBI Annuity Deposit Scheme: इस स्कीम में बैंक आपको एक बार में लमसम अमाउंट इन्वेस्ट करने को कहता है, फिर इस अमाउंट पर आपको प्रिंसिपल अमाउंट का एक हिस्सा, और घटते प्रिंसिपल अमाउंट पर बना ब्याज मिलता है.
अगर आप निवेश के लिए ऐसा माध्यम ढूंढ रहे हैं, जहां आप अपना फंड एक बार में पार्क करके फिर इसपर मंथली रिटर्न उठाएं तो प्रमुख सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का SBI Annuity Deposit Scheme आपके लिए सही ऑप्शन हो सकता है. इस स्कीम में बैंक आपको एक बार में लमसम अमाउंट इन्वेस्ट करने को कहता है, फिर इस अमाउंट पर आपको प्रिंसिपल अमाउंट का एक हिस्सा, और घटते प्रिंसिपल अमाउंट पर बना ब्याज मिलता है.
SBI Annuity Deposit Scheme के फीचर्स, जो आपको जानने चाहिए
आप इस स्कीम में 6/60/84 या 120 महीने के लिए निवेश कर सकते हैं. मिनिमम मंथली एनुइटी 1,000 रुपये है. वहीं, 15,00,000 तक के डिपॉजिट पर प्रीमैच्योर पेमेंट कर सकते हैं. डिपॉजिट अमाउंट कितना हो सकता है, इसपर कोई लिमिट नहीं है. डिपॉजिटर को कुछ केस में एनुइटी के कुल बैलेंस का 75% तक ओवरड्राफ्ट या लोन में लेने की सुविधा मिलती है.
डिपॉजिटर का निधन हो जाने की स्थिति में प्रीमैच्योर पेमेंट कर सकते हैं, जिसपर कोई लिमिट नहीं लगेगी.
इंटरेस्ट रेट कितना होता है? (SBI Annuity Deposit Scheme Interest Rate)
इस स्कीम पर इंटरेस्ट रेट उतना ही होता है, जितना टर्म डिपॉजिट पर पब्लिक और सीनियर सिटीजंस को मिलता है. एसबीआई ने हाल ही में अपने फिक्स्ड डिपॉजिट्स पर इंटरेस्ट रेट की बढ़ोतरी की है. आम निवेशक को 6.1 पर्सेंट का ब्याज और सीनियर सिटीजन को 6.9 पर्सेंट का ब्याज मिल रहा है.
इस स्कीम में चार टेन्योर में डिपॉजिट कर सकते हैं, तो अलग-अलग टेन्योर पर अलग-अलग इंटरेस्ट रेट लागू होगा.
कैसे हैं SBI Fixed Deposit से अलग
फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट पर डिपॉजिटर को एक बार पैसे डिपॉजिट करना होता है और उसे मैच्योरिटी के बाद (STDR की स्थिति में) प्रिंसिपल और इंटरेस्ट मिलता है. TDR की स्थिति में मैच्योरिटी के बाद बस प्रिंसिपल अमाउंट मिलता है, इंटरेस्ट कुछ अंतराल पर मिलता है.
वहीं, एनुइटी डिपॉजिट में आपको एक बार में डिपॉजिट करना होता है. और बैंक आपकी ओर से तय किए गए टेन्योर में आपको बैंक रीपेमेंट करेगा. इसके साथ प्रिंसिपल अमाउंट का एक हिस्सा और इंटरेस्ट होगा. यानी कि आपके वन टाइम पेमेंट पर बैंक आपको हर महीने EMI देगा, जिसमें आपके प्रिंसिपल अमाउंट का एक हिस्सा और इंटरेस्ट मिलेगा. इससे आपका प्रिंसिपल अमाउंट घटता रहेगा और मैच्योरिटी के वक्त तक अमाउंट जीरो हो जाएगा.