LIC Policy: देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कवरेज देने वाली संस्था LIC की एक पॉपुलर स्कीम है और स्कीम का नाम है LIC बीमा ज्योति पॉलिसी. इस पॉलिसी के तहत पॉलिसीहोल्डर्स को परिवार की सुरक्षा के साथ-साथ सेविंग्स यानी कि बचत (Savings) का भी फायदा मिलता है. एलआईसी बीमा ज्योति एक नॉन लिंक्ड,  नॉन पार्टिसिपेटिंग, इंडीविजुअल और लाइफ इंश्योरंस सेविंग्स प्लान है. ये एक पॉलिसी है, जिसको खरीद कर पॉलिसीहोल्डर्स (LIC Policyholders) को परिवार के भविष्य की सुरक्षा के साथ-साथ सेविंग्स का भी फायदा मिलता है. अगर पॉलिसीहोल्डर की पॉलिसी के दौरान (मैच्योरिटी से पहले) आकस्मिक मृत्यु हो जाती है तो परिवार के लोगों को पॉलिसी के तहत फाइनेंशियल सपोर्ट मिलता है. इसके अलावा मैच्योरिटी पर अगर पॉलिसीधारक जिंदा रहता है तो गारंटीड एकमुश्त इनकम मिलती है. इसके अलावा इस पॉलिसी के जरिए आप लिक्विडी की जरूरत पड़ने पर लोन का भी फायदा उठा सकते हैं. 

पॉलिसी के तहत मिलते हैं ये बेनेफिट्स

  • डेथ बेनेफिट
  • मैच्योरिटी बेनेफिट
  • गारंटीड एडिशन

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इस पॉलिसी में निवेश से पहले जान लें जरूरी बातें

  • पॉलिसी में निवेश करने पर मिलता है एक लाख रुपए का मिनिमम सम एश्योर्ड
  • इस पॉलिसी में निवेश करने पर अधिकतम सम एश्योर्ड की कोई सीमा नहीं है
  • इस पॉलिसी में 15 से 20 साल के लिए निवेश किया जा सकता है
  • मैच्योरिटी से 5 साल पहले तक पॉलिसी के तहत प्रीमियम भरना है
  • 90 दिन से 60 साल की उम्र तक इस पॉलिसी में निवेश कर सकते हैं
  • मैच्योरिटी के न्यूनतम उम्र 18 साल और अधिकतम आयु 75 साल 

न्यूनतम और अधिकतम कितना निवेश?

इस पॉलिसी के तहत पॉलिसीहोल्डर मासिक, त्रैमासकि, छमाही और सालाना आधार पर निवेश कर सकता है. इस पॉलिसी में पॉलिसीधारक को कम से कम 5000 रुपए का न्यूनतम मासिक निवेश करना होगा. अगर तिमाही आधार पर निवेश करना है तो निवेश करने वाली रकम होगी 15000 रुपए. इसके अलावा छमाही आधार पर निवेश करना है तो 25000 रुपए और सालाना आधार पर निवेश करना हो तो 50000 रुपए निवेश करने होंगे. 

पॉलिसीहोल्डर को मिलेगी सालाना गारंटीड रिटर्न

LIC Bima Jyoti पॉलिसी में आपको हर साल के आखिरी में 50 रुपए प्रति हजार बेसिक सम एश्योर्ड के अलावा गारंटी दी जाएगी. इसमें आपको 50 रुपए प्रति हजार सम एश्योर्ड पर गारंटीड बोनस मिलेगा. मासिक प्रीमियम का भुगतान सिर्फ NACH (नेशनल ऑटोमेटेड क्लीयरिंग हाउस) के जरिए या सैलरी डिडक्शन के जरिए किया जा सकता है.