1 अप्रैल से नया कारोबारी साल शुरू चुका है. नौकरी-पेशा लोगों को टैक्स रिजीम (Tax Regime) चुनने का समय आ गया है. लेकिन सवाल ये है कि न्यू और ओल्ड में से कौन सा टैक्स रिजीम (New vs Old Tax Regime) किसके लिए ज्यादा बेहतर है, ये भी समझना जरूरी है. न्यू और ओल्ड टैक्स रिजीम में क्या अंतर है, होम लोन या एजुकेशन लोन लेने वालों को किस टैक्स रिजीम को चुनना बेहतर होगा, साथ ही अगर किसी की आमदनी साढ़े 7 लाख तक की है तो उसे क्या करना चाहिए, टैक्सपेयर्स के ऐसे कई सवाल हैं, जिनका जवाब देना जरूरी है.

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सैलरीड क्लास लोगों के लिए नया कारोबारी साल शुरू होते ही एक बड़ी दुविधा सामने आ गई है- टैक्स रिजीम सिलेक्शन की....ओल्ड टैक्स रिजीम चुनें या नई टैक्स रिजीम...ऑफिस से इनकन टैक्स रिजीम चुनने और टैक्स डिक्लरेशन (Income tax declaration) को लेकर मेल भी आ रहे हैं या आ चुके हैं. कर्मचारियों को कोई एक टैक्स रिजीम को चुनना है.

न्यू रिजीम में क्या होगा?

सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम को थोड़ा और आकर्षक बना दिया है. मतलब कि अब यदि कोई टैक्स पेयर नई टैक्स रिजीम चुनता है तो उसे 7 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा. इसके साथ ही नई कर व्यवस्था में 50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिलेगा. इस तरह, जिनकी कुल सालाना आमदनी साढ़े 7 लाख रुपये है, उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होगा. अब ओल्ड टैक्स रिजीम की बात करते हैं. इस व्यवस्था में उन लोगों को इनकम टैक्स नहीं देना होगा जिनकी सालाना आमदनी साढ़े 5 लाख रुपये है. इसमें 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी शामिल है. यानि साढ़े 5 लाख रुपये तक के इनकम पर टैक्स जीरो हो जाएगा.

साढ़े सात लाख से अधिक है आय तो क्या करें?

अब सवाल उठता है कि जिनकी आमदनी साढ़े 7 लाख से अधिक है उनके लिए कौन सा टैक्स रिजीम बेहतर है. दरअसल, पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत 80C से लेकर निवेश की रकम और लिए गए लोन पर निर्भर करता है कि किसे कौन सा टैक्स रिजीम चुनना चाहिए. अगर कोई इनकम टैक्स में छूट दिलाने वाले प्रावधानों ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करता है तो उसे नई की बजाय ओल्ड टैक्स रिजीम में जाना चाहिए. खासकर एजुकेशन या होम लोन लेने वाले या जिनके बच्चों की मोटी फीस जाती है उनके लिए ओल्ड टैक्स रिजीम बेहतर है. साथ ही जिन लोगों ने अपने बुजुर्ग पेरेन्ट्स का मेडिकल इंश्योरेंस ले रखा है, उन्हें भी पुरानी टैक्स रिजीम में रहने में फायदा है. साथ ही जो लोग HRA के पात्र हैं उनके लिए भी ओल्ड टैक्स रिजीम चुनना फायदेमंद है. लेकिन जिन लोगों का निवेश पर जोर नहीं होता उनके लिए न्यू टैक्स रिजीम बेहतर है.

फिलहाल तो न्यू और ओल्ड टैक्स रिजीम को लेकर बहुत हद तक तस्वीर साफ हो गई होगी. सरल भाषा में कहें तो अगर आप निवेश के आदी नहीं हैं, बचत योजनाओं से दूर रहते हैं या आपका कोई लोन नहीं चल रहा है तो नई टैक्स व्यवस्था इसलिए बेहतर है क्योंकि इसमें टैक्स का रेट ओल्ड टैक्स रिजीम के मुकाबले कम है. अब ये आपको तय करना है कि आपकी आय और निवेश प्लान के मुताबिक कौन सा टैक्स रिजीम आपके लिए सही बैठता है..ओल्ड या न्यू...