ITR Filing: इनकम टैक्स रिटर्न का वक्त आ चुका है- शुरू करें तैयारी, ये डॉक्यूमेंट्स लगाने होंगे बारी-बारी, चेक कर लें लिस्ट
ITR के डॉक्युमेंट्स अलग-अलग टैक्सपेयर के लिए अलग होते हैं. इसमें आपकी इनकम और इन्वेस्टमेंट अलग होती हैं. रिटर्न के लिए जरूरी डॉक्युमेंट्स को 3 पार्ट्स में बांट लेंगे तो आसानी रहेगी. पहला- इनकम एंड इन्वेस्टमेंट प्रूफ, दूसरा- टैक्स स्टेटमेंट और तीसरा पर्सनल डीटेल्स.
ITR Filing 2024: इनकम टैक्स रिटर्न भरने का वक्त आ चुका है. 31 जुलाई आखिरी डेट है. जितनी जल्दी रिटर्न भरेंगे उतनी जल्दी रिफंड भी आपके खाते में आएगा. लेकिन, रिटर्न भरने से पहले इसकी तैयारी करनी जरूरी है. ITR से जुड़े डॉक्युमेंट्स की लिस्ट तैयार करनी है. कौन-कौन से डॉक्युमेंट्स चाहिए. और आपको इनकी जरूरत क्यों है. सबसे जरूरी बात, ITR के डॉक्युमेंट्स अलग-अलग टैक्सपेयर के लिए अलग होते हैं. इसमें आपकी इनकम और इन्वेस्टमेंट अलग होती हैं. रिटर्न के लिए जरूरी डॉक्युमेंट्स को 3 पार्ट्स में बांट लेंगे तो आसानी रहेगी. पहला- इनकम एंड इन्वेस्टमेंट प्रूफ, दूसरा- टैक्स स्टेटमेंट और तीसरा पर्सनल डीटेल्स.
1. इनकम एंड इन्वेस्टमेंट प्रूफ
ITR Filing के वक्त बताना होता है कि आपकी एक फाइनेंशियल ईयर में कितनी इनकम रही है और आपने कहां-कहां इन्वेस्ट किया है.
- इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C में कवर होने वाले टैक्स सेविंग टूल्स जैसे- एफडी, ईएलएसएस वगैरह में निवेश किया है तो इनसे रिलेटेड डॉक्यूमेंट्स रेडी रखें.
- अगर आपने होम लोन ले रखा है तो यहां भी टैक्स छूट मिलती है. आप प्रिंसिपल अमाउंट पर जो ब्याज भरते हैं, उसपर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं और इसके लिए आपको होम लोन स्टेटमेंट दिखाना होता है.
- अगर आपकी किराये से इनकम आती है, तो इसे डिस्क्लोज़ करना होगा. अगर आप किराये पर रहते हैं तो अपने लैंडलॉर्ड से बिल की रसीद लेकर जरूर लगाएं, इससे आप टैक्स बचा सकते हैं. ये पेपर्स आपको अटैच नहीं करने होते, लेकिन इसे सेफ रखिए, जस्ट इन केस.
- इसके अलावा, अगर आपने शेयर, सिक्योरिटी या प्रॉपर्टी बेचकर पैसे कमाएं हैं, तो भी इसे डिस्क्लोज़ करना चाहिए और इसके लिए आपको ब्रोकर स्टेटमेंट, प्रॉपर्टी सेल डीड वगैरह देनी पड़ सकती है. डिविडेंड से कमाई हुई है तो इसे आप डीमैट अकाउंट स्टेटमेंट के जरिए शो कर सकते हैं.
2. टैक्स स्टेटमेंट/Form 16
अब बात फॉर्म 16 की. सैलरीड इंप्लॉईज़ को स्पेशली इसका इंतजार होता है. इनके केस में ये इंप्लॉयर जारी करता है, जिसमें आपकी सैलरी और TDS डिडक्शन की डीटेल होती है. इसमें दो पार्ट होते हैं- ए और बी, पार्ट ए में कितना टैक्स कटा है, इंप्लॉयर का पैन और टैन क्या है, ये बताते हैं. पार्ट बी में ग्रोस सैलरी ब्रेकअप, एक्जेम्पशन वगैरह की डीटेल होती है.
Form-16A/Form-16B/Form-16C
सैलरी, इंटरेस्ट वगैरह की जानकारी फॉर्म 16ए में होती है. वहीं, अगर आप कोई प्रॉपर्टी बेचते हैं तो आपका बायर आपको फॉर्म 16बी देता है. फॉर्म 16सी में रेंट पर टीडीएस डिडक्शन की डीटेल होती है.
Form 26AS और AIS
फॉर्म 26AS टैक्स पासबुक जैसा होता है. इसमें आपने जितना भी टैक्स जमा किया है, उसकी डीटेल होती है. अगर TDS कटा है तो इसमें रिफ्लेक्ट होगा, अगर रिफंड लेना है तो आपको जरूर ये देखना चाहिए कि इस फॉर्म में सारी डीटेल्स सही हों. इसी तरह एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (Annual Information Statement) भी आपके टैक्स की कुंडली होता है, इसमें भी आपको टैक्स डिडक्शन, लायबिलिटी से लेकर आपकी हर जानकारी डिस्प्ले होती है.
3. पर्सनल डीटेल्स
Pan-Aadhaar है जरूरी
पैन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से इश्यू होता है. ये सबसे जरूरी डॉक्यूमेंट है. PAN आपके बैंक अकाउंट से लिंक होना चाहिए. अगर आधार कार्ड से लिंक है तो रिटर्न फाइल करने में आसानी होती है. IT Act का Section 139AA के मुताबिक, टैक्सपेयर्स को ITR फाइलिंग के वक्त आधार नंबर देना अनिवार्य है.
बैंक डीटेल्स- बैंक स्टेटमेंट/पासबुक
ITR Filing के लिए आपके सभी बैंक अकाउंट की डीटेल्स देनी होगी. बैंक नेम, अकाउंट नंबर, IFSC और आपके कितने अकाउंट हैं, ये सब बताना होगा. ये भी बताना होगा कि टैक्स रिफंड आपको किस अकाउंट में चाहिए. साथ ही आपको बैंक स्टेटमेंट या पासबुक की कॉपी देनी होगी, ताकि ये चेक किया जा सके कि एक फाइनेंशियल ईयर में आपने सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज से कितनी कमाई की है