इनकम टैक्स रिटर्न भरने का टाइम चल रहा है. 1 अप्रैल से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का टैक्स फाइलिंग पोर्टल खुला हुआ है. हालांकि, सैलरीड कर्मचारियों को अपने Form-16 का इंतजार है, जिसके बाद ज्यादातर टैक्स फाइलिंग होगी. लेकिन उसके पहले बात कर लेते हैं इनकम टैक्स और TDS यानी Tax Deducted at Source क्या होता है, क्योंकि अगर आपकी किसी भी रास्ते से कोई इनकम आती है, या आप नौकरी में हैं तो आपने अकसर ये दोनों टर्म सुने होंगे. होते ये दोनों डायरेक्ट टैक्स ही हैं, लेकिन इनमें थोड़ा फर्क होता है और अगर आप इसे समझ लें तो आपके लिए टैक्स प्लानिंग के साथ फाइनेंशियल प्लानिंग भी आसान हो जाती है.

क्या होता है Income Tax?

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इनकम टैक्स किसी भी शख्स या कंपनी के सालाना इनकम पर लगाया जाने वाला टैक्स है. यानी कि सालभर में आपकी जितनी कमाई हुई है, जितनी आय आई है, उसपर आपको सरकार को जितना कर देना है, वो इनकम टैक्स है. इसके नियमों के लिए देश में Income Tax Act, 1961 लागू है. आपको वित्त वर्ष के अंत में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (ITR Filing) करना होता है. इनकम टैक्स सैलरी, हाउस प्रॉपर्टी से आय, बिजनेस या प्रोफेशन से हुई लाभ और कैपिटल गेन पर आपको इनकम टैक्स देना होता है. देश में दो टैक्स रिजीम हैं- ओल्ड और न्यू, जिसमें क्रमश: 2.5 लाख और 3 लाख तक की आय टैक्स फ्री है. टैक्सेबल इनकम होने के बावजूद आईटीआर फाइल न करने पर सरकार पेनाल्टी लगाती है.

TDS क्या होता है?

TDS यानी टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स किसी भी पेमेंट कर रही एंटिटी के इनकम सोर्स से कटता है. यानी अगर कोई कंपनी कर्मचारी को सैलरी देती है, तो वो पेमेंट के पहले इसपर TDS काटती है और इसे सीधे सरकार के पास जमा करती है. TDS सैलरी, रेंट, या किसी भी दूसरी फीस पर कट सकता है. TDS सैलरी पेमेंट, इन्वेस्टमेंट और रेंट से हुई आय, प्रतियोगिता, लॉटरी, जुआ, प्राइज मनी वगैरह से मिले पैसे, इंश्योरेंस पर कमीशन, कॉन्ट्रैक्टर्स, ब्रोकरेज या ऐसी ही दूसरी प्रोफेशनल फीस, नेशनल सेविंग्स स्कीम और दूसरे सोर्स पर पेमेंट हुई तो TDS कटता है.

Income Tax और TDS में क्या फर्क है?

तो ऊपर जैसाकि हमने बताया इनकम टैक्स जहां आपकी सालाना आय पर साल में एक बार कटता है, इसे टैक्सपेयर साल के आखिर में भरता है. वहीं TDS अलग-अलग स्रोतों से हुई आय पर साल भर कटता रहता है. इनकम टैक्स जहां टैक्सपेयर खुद अपनी टैक्स लायबिलिटी कैलकुलेट करने के बाद आईटीआर के जरिए भरता है, वहीं TDS पेयर यानी कि पेमेंट करने वाली कंपनी या संस्था काटती है और सीधे सरकार के पास जमा करती है.

इसके अलावा भी कुछ बड़े फर्क हैं, जैसे कि TDS जहां पेमेंट के हिसाब से लागू टैक्स रेट पर कटता है, वहीं इनकम टैक्स टैक्सपेयर की टैक्सेबल इनकम जिस टैक्स स्लैब में आती है, उसपर कटती है.