Income Tax Deduction: देश का इनकम टैक्स कानून देश के टैक्सपेयर्स को कई तरह के टैक्स छूट देती है, जिससे वो अपनी मेहनत की कमाई पर टैक्स बचा सकें. आईटी एक्ट का चैप्टर 6 ऐसे सभी डिडक्शन को कवर करता है, जिसमें सरकार अलग-अलग डिडक्शन देती है. अगर आप टैक्स भरते हैं तो आपको पता होगा कि सरकार आपको इंश्योरेंस पॉलिसी पर टैक्स छूट देती है, लेकिन क्या आपको पता है कि सरकार कुछ मेडिकल खर्चों पर भी आपको छूट दे देती है? इसके लिए इनकम टैक्स एक्ट में बकायदा अलग से एक सेक्शन दिया गया है. आइए जानते हैं.

क्या है सेक्शन 80DDB?

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आईटी एक्ट का Section 80DDB इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स और HUF (Hindu Undevided Family) को कुछ विशिष्ट बीमारियों के इलाज में हुए खर्चों पर छूट देता है. इस सेक्शन के प्रावधान के मुताबिक, अगर किसी टैक्सपेयर ने किसी निश्चित बीमारी के इलाज में पैसे खर्च किए हैं, तो वो इन खर्चों पर टैक्स छूट मांग सकता है. हालांकि, ये ध्यान रखने वाली बात है कि इसमें भी कुछ शर्तें लागू होती हैं, वहीं अलग-अलग आय के लोग कितनी छूट ले सकते हैं, इसपर भी एक सीमा लगी हुई है.

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80DDB Deduction के तहत छूट कौन क्लेम कर सकता है?

सेक्शन 80DDB के तहत एक पात्रता है, जिसे देखते हुए ही आप टैक्स बेनेफिट्स क्लेम कर सकते हैं-

- इंडिविजुअल और हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली ही इस छूट के दायरे में आते हैं.

- इसके लिए वही लोग क्लेम कर सकते हैं, जिनके पास भारत की नागरिकता है. NRIs को ये टैक्स क्लेम करने की छूट नहीं है. कॉरपोरेट बिजनेसेज़ को भी इसके तहत छूट लेने की अनुमति नहीं है.

- आपकी एलिजिबल टैक्सपेयर हैं और अपने ऊपर या अपने परिवार में किसी सदस्य की बीमारी पर खर्चा उठाया है. यहां ये एक शर्त है कि परिवार में आपकी पत्नी/पति, बच्चे, भाई-बहन और माता-पिता की बीमारी के खर्च पर ही टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है.

कितना डिडक्शन मिल सकता है?

इस सेक्शन के तहत आपको कितना डिडक्शन मिलेगा, इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं-

- 60 सालों से कम साल के टैक्सपेयर के लिए- 40,000 रुपये या मेडिकल का खर्चा (जो भी कम हो)

- 60 साल से ऊपर के टैक्सपेयर के लिए- 1 लाख रुपये या मेडिकल का खर्चा (जो भी कम हो)

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किन बीमारियों पर लागू होता है 80DDB Deduction?

1. Neurological Diseases

(a)         Dementia ;

(b)         Dystonia Musculorum Deformans ;

(c)         Motor Neuron Disease ;

(d)         Ataxia ;

(e)         Chorea ;

(f)         Hemiballismus ;

(g)         Aphasia ;

(h)         Parkinsons Disease ;

(ii)         Malignant Cancers ;

(iii)         Full Blown Acquired Immuno-Deficiency Syndrome (AIDS) ;

(iv)         Chronic Renal failure ;

(v)         Hematological disorders :

(i)         Hemophilia ;

(ii)         Thalassaemia.

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80DDB में डिडक्शन कैसे क्लेम करते हैं? (How to Claim Deduction Under Section 80DDB?)

- इस सेक्शन के तहत डिडक्शन क्लेम करने के लिए आपको अपने मेडिकल सर्टिफिकेट की एक हार्ड कॉपी देनी होगी. इसके लिए आपके सेंट्रल या स्टेट गवर्नमेंट मेडिकल बोर्ड की ओर से बीमारी की जानकारी देते हुए मेडिकल सर्टिफिकेट जारी हुआ होना चाहिए.

- लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी भी उसीके नाम पर होना चाहिए, जिसके नाम पर टैक्स असेसमेंट हो रहा है. ये लाइफ इंश्योरेंस हेल्थ इंश्योरेंस नहीं है. इससे टैक्स असेसर की आकस्मिक मृत्यु पर एनुइटी दी जाती है. डिपेंडेंट को इसपर डेथ बेनेफिट मिलता है.

- अगर टैक्सेशन के पहले डिसेबल डिपेंडेंट का निधन हो जाता है तो पॉलिसी अमाउंट असेसर को लौटा दिया जाता है. लेकिन इस अमाउंट को इनकम के तौर पर देखा जाता है और इसपर टैक्स लगता है.

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