Income Tax Changes in Budget: सेक्शन 80G की छूट से बाहर हुए नेहरू, इंदिरा और राजीव गांधी फाउंडेशन, जानिए क्या है ये
Income Tax Changes in Budget, Section 80G deduction: फाइनेंस बिल में बताया गया है कि जवाहरलाल नेहरू, मेमोरियल फंड, इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट और राजीव गांधी फाउंडेशन को सेक्शन 80G के तहत मिलने वाले डिडक्शन पाने योग्य फंड्स की लिस्ट से बाहर कर दिया गया है.
Income Tax Changes in Budget, Section 80G deduction: केंद्रीय बजट (Union Budget 2023) के साथ लाए गए फाइनेंस बिल (Finance Bill) में सरकार ने कई संशोधन किए हैं. इनमें से एक संशोधन चैरिटेबल ट्रस्ट्स को डिडक्शन की लिमिट से बाहर करना भी है. फाइनेंस बिल के हाइलाइट्स (Finance Bill Highlights) के चैप्टर 6- चैरिटेबल और धार्मिक ट्रस्ट्स से जुड़े संशोधन- में बताया गया है कि जवाहरलाल नेहरू, मेमोरियल फंड, इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट और राजीव गांधी फाउंडेशन को सेक्शन 80G के तहत मिलने वाले डिडक्शन पाने योग्य फंड्स की लिस्ट से बाहर कर दिया गया है. फाइनेंस बिल एंड मेमोरेंडम में इसे लेकर कहा गया है कि "यह पाया गया है कि इस सेक्शन में दिए गए नामों के तहत बस तीन फंड ही हैं."
80G से फंड्स को हटाने पर नियम (Removal of certain funds from section 80G)
बिल में कहा गया है कि सेक्शन 80G कुछ संस्थानों और दान पाने वाले संस्थानों को ऐसे धन लेने की अनुमति देता है और इस तरह के दान करने वाले असेसी को ऐसे दान के संबंध में डिडक्शन या कटौती मंजूर करता है. इसका सब-सेक्शन (2) में ऐसे फंड की लिस्ट होती है, जिनको असेसी ने पिछले सालों में दान दी है, और उस दान की रकम पर 50%/100% तक डिडक्शन मिलता है. ऐसा देखा गया है कि इस सेक्शन के तहत दिए गए नामों पर बस तीन फंड है. ऐसे फंड्स को हटाने के लिए इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80G के सब-सेक्शन (2) के क्लॉज (a) के sub-clauses (ii), (iiic) और (iiid) को हटाने का प्रस्ताव दिया गया है. यह संशोधन 1 अप्रैल, 2024 से लागू होगा और इस तरह असेसमेंट ईयर 2023-24 सहित उसके आगे के सालों पर लागू होगा.
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चैरिटेबल और धार्मिक ट्रस्ट को लेकर क्या है नियम?
नए फाइनेंस बिल के मुताबिक,
- अगर किसी धर्मार्थ या धार्मिक ट्रस्ट की ओर से 1 अप्रैल, 2021 के पहले किसी फंड, ऋण या उधार का उपयोग किया है, लेकिन अगर वो अमाउंट बाद में कॉर्पस में वापस जमा किया जाता है या ऋण चुका दिया जाता है, तो वो धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्यों के लिए आवेदन नहीं माना जाएगा.
- धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्यों के लिए अगर फंड का इस्तेमाल पहले 5 सालों के भीतर होता है तो ऋण की चुकौती या कॉर्पस में निवेश को तभी आवेदन माना जाएगा.
- एक ट्रस्ट या संस्था द्वारा दूसरे ट्रस्ट या संस्था को दिए गए दान की राशि का 85% तक आवेदन योग्य होगा.
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