ITR Filing: इनकम टैक्स (Income Tax) बचाने के लिए अधिकतर लोग तो सही रास्ते पर चलते हैं, लेकिन कुछ लोग गलत रास्ता चुन लेते हैं. ऐसे लोग फर्जी रेंट रिसीप्ट (Fake Rent Receipt) का इस्तेमाल करते हुए टैक्स बचाने की कोशिश करते हैं. पिछले कई सालों से तमाम लोग इस तरह से टैक्स बचाते (Tax Saving) आ रहे हैं. आयकर विभाग को भी ये सब दिखता है और अब ऐसे लोगों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया गया है. हाल ही में आयकर विभाग ने ऐसा करने वालों का एक फर्जीवाड़ा पकड़ा भी था. 

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इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई (ITR Filing Last Date) तेजी से नजदीक आ रही है. ऐसे में फर्जी रेंट रिसीप्ट  का इस्तेमाल और ज्यादा बढ़ जाता है. जो लोग फर्जी रेंट रिसीप्ट लगाकर टैक्स डिडक्शन क्लेम करते हैं, आयकर विभाग की तरफ से उन्हें लगातार नोटिस (IT Notice) भेजे जाते हैं. आइए जानते हैं आखिर कैसे आयकर विभाग फर्जी रेंट रिसीप्ट वाले आईटीआर को पकड़ रहा है और नोटिस भेज रहा है? 

AI से पकड़े जाते हैं फर्जीवाड़ा कर रहे लोग

आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस यानी एआई (AI) के जमाने में इनकम टैक्स विभाग भी एआई का इस्तेमाल कर रहा है. एआई के जरिए ही इनकम टैक्स विभाग फर्जी रेंट रिसीप्ट को पकड़ रहा है. इसके लिए आयकर विभाग फॉर्म-16 का एआईएस फॉर्म और फॉर्म-26एएस के साथ मिलान करता है. बता दें कि इन फॉर्म में पैन कार्ड से जुड़े तमाम ट्रांजेक्शन दर्ज होते हैं. जब करदाता रेंट रिसीप्ट के जरिए हाउस रेंट अलाउंस का दावा करता है तो आयकर विभाग उसके दावे का मिलान इन फॉर्म से करते हैं और अंतर होता है तो तुरंत दिख जाता है. यह सारी प्रक्रिया एआई से अपने आप और चुटकी में हो जाती है.

क्या हैं हाउस रेंट अलाउंस के नियम?

हाउस रेंट अलाउंस से जुड़ा एक नियम है कि वह एचआरए का डिडक्शन तभी क्लेम कर सकता है, जब उसे कंपनी की तरफ से एचआरए मिल रहा हो. वहीं अगर कर्मचारी 1 लाख रुपये से अधिक किराया चुकाता है तो उसे अपने मकान मालिक का पैन नंबर भी देना होगा. इससे आयकर विभाग आपके एचआरए के तहत क्लेम किए गए अमाउंट को आपके मकान मालिक के पैन नंबर पर भेजे गए अमाउंट से मिलाता है. बता दें कि पैन से जुड़ी सारी ट्रांजेक्शन एआईएस फॉर्म में लिखी होती हैं. अगर दोनों में अंतर पाया जाता है तो आयकर विभाग की तरफ से आपको नोटिस भेज दिया जाता है.

अगर आपकी कंपनी एचआरए देती है और आप 1 लाख रुपये से कम सालाना रेंट क्लेम कर रहे हैं तो आपको अपने मकान मालिक का पैन नहीं देना होगा. यानी इस स्थिति में आप 1 लाख रुपये तक का एचआरए क्लेम कर सकते हैं, जिसे आयकर विभाग की तरफ से चेक नहीं किया जाएगा कि वह सही है या फर्जी. 

एचआरए पर क्यों होता है फर्जीवाड़ा?

एचआरए को लेकर फर्जीवाड़ा होने की सबसे बड़ी वजह ये है कि इससे बहुत सारी कमाई पर टैक्स बचता है. मान लीजिए आपने अपने घर का किराया 20 हजार रुपये महीना यानी 2.40 लाख रुपये सालाना दिखाया तो करीब इतने रुपये पर आपका टैक्स नहीं लगेगा. ऐसे में बहुत से लोग सोचते हैं कि फर्जी रेंट रिसीप्ट बनाकर टैक्स बचाया जाए, लेकिन अब आयकर विभाग इन फर्जीवाड़ों को पकड़ रहा है और नोटिस भेज रहा है.