Budget 2023: देश का आम बजट आने में अब मुश्किल से 10 दिन बचे हैं. 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में देश का बजट पेश करेंगी. देश के बजट में हर सेक्टर, कॉरपोरेट्स और आम आदमी के लिए कुछ न कुछ बदलाव आते हैं. ऐसे में प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी पेंशन स्कीम में डिडक्शन की लिमिट बढ़ने की उम्मीद में बैठा हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए Zee Business वित्त मंत्री जी से कुछ अपील कर रहा है, जो की प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को काफी राहत दे सकती हैं. इसके लिए Zee Business ने एक खास सीरीज शुर की है “वित्त मंत्री जी ये तो बदलिए… ”.

क्या है आज की मांग?

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Zee Business के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने वित्त मंत्री जी से प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) में डिडक्शन लिमिट 10% से 14% बढ़ाने की मांग की है.

क्या कहा अनिल सिंघवी ने?

वित्त मंत्री जी से मांग करते हुए अनिल सिंघवी ने कहा कि - “बड़े विकसित देशों (Developed Countries) की तरह हमारे देश में सोशल सेक्योरिटी सिस्टम (Social Security System) इतना मज़बूत नहीं हैं. ऐसे में अगर आपने पैसा बनाया नहीं, या फिर [पैसा बचाया नहीं, तो आपका बुढ़ापा कटना मुश्किल हैं. बस, इसी दिक्कत को दूर करने के लिए सरकार लेकर आई, NPS, नेशनल पेंशन सिस्टम. इसमें आप अपना पैसा इन्वेस्ट कर सकते हैं और आपके एम्प्लॉयर भी. अगर आप केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं तो सरकार इसमें 14 परसेंट का कॉन्ट्रिब्यूशन करती है, जिसपर आपको डिडक्शन मिलता हैं. लेकिन, अगर आप प्राइवेट कर्मचारी है, तो ये कॉन्ट्रिब्यूशन सिर्फ 10 % का है. प्राइवेट सेक्टर इतना बड़ा है, लोग अपना पेंशन खुद भी बनान चाहते हैं, तो सरकार से चाहिए की ये कॉन्ट्रिब्यूशन 10% से बढ़ाकर 14% कर दी जाए. जो की आप खुद अपने केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए करते ही हैं. तो वित्त मंत्री जी, हमारा बुढ़ापा फिनान्सिअली सेफ रहें, पेंशन ज्यादा से ज्यादा मिलें तो अच्छा रहेगा. क्योंकि, पैसे तो हम बचा ही रहें हैं, आपको तो सिर्फ कंट्रीब्यूशन जो है ना, उससे बढ़ाना हैं. प्लीज, इस बजट में ये तो बदलिए वित्त मंत्री जी…”.

 

 

क्यों बढ़नी चाहिए ये कॉन्ट्रिब्यूशन?

कॉन्ट्रिब्यूशन क्यों बढ़नी चाहिए इसपर अनिल सिंघवी ये कहते हैं -” जितने ज्यादा पैसे लोगों की पेंशन में जाएं वो लोग और सरकार के लिए ठीक हैं. इससे पैसा लॉन्ग टर्म के लिए जाट अहइ, लगभग 10 से 20 साल. इससे सरकार के ऊपर प्रेशर कम होगा और सरकार अपना पैसा इंफ्रास्ट्रक्चर में लगा पाएगी. पहले के ज़माने में लोग अपने बुढ़ापे, रिटायरमेंट और पेंशन के बारे में सोचते थे. जमीन और सोना खरीद के बुढ़ापे की प्लानिंग करते थे. पर अब लोग फाइनेंशियल इंवेस्टमेंट्स की तरफ बढ़ रहें हैं. ऐसे में सरकार  का इस कंट्रीब्यूशन को बढ़ाने से लोगो में पेंशन के बारे में अवेयरनेस बढ़ेगा. जिससे लोग अपने बुढ़ापे, रिटायरममेंट और पेंशन के बारे में सोचेंगे”.

 

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