वित्त वर्ष 2023-24 के लिए इनकम टैक्स (Income tax) बचाने के अब महज कुछ महीने बचे हैं. इन दिनों इन्वेस्टमेंट प्रूफ दाखिल किए जा रहे हैं. साथ ही इन्वेस्टमेंट के जरिए टैक्स बचाने की भी जुगत है. लेकिन, अगर आपने अभी तक टैक्स सेविंग (Tax savings) के लिए कुछ नहीं किया है तो अभी भी वक्त है. फाइनेंशियल ईयर (Financial year) के लिए टैक्स बचाने के लिए कुछ ऐसे टैक्स डिडक्शन हैं, जिसमें आप निवेश, कमाई और दूसरे तरह के पेमेंट्स पर टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं. खास बात ये है कि 8 लाख रुपए तक की सैलरी वालों का पूरा टैक्स बच सकता है. आइये समझते हैं कैसे...

इनकम टैक्स सेविंग्स के 10 बेस्ट ऑप्शन

1. LIC, EPF, PPF और पेंशन स्कीम में निवेश

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इनकम टैक्स सेविंग्स (Income tax savings) के लिए सबसे आसान और बेहतरीन सेविंग ऑप्शन है सेक्शन 80C. इसमें कई तरह की टैक्स छूट मिलती है. LIC पॉलिसी के प्रीमियम को आप क्लेम कर सकते हैं. प्रोविडेंट फंड (EPF), PPF, बच्चों की ट्यूशन फीस, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC), होम लोन के प्रिंसिपल पर आप 80C के तहत टैक्स छूट हासिल कर सकते हैं. छूट की लिमिट 1.5 लाख रुपए है. सेक्शन 80CCC में LIC या किसी और बीमा कंपनी का अगर एन्यूटी प्लान (पेंशन प्लान) खरीदा है तो टैक्स छूट ले सकते हैं. सेक्शन 80 CCD (1) में केंद्र सरकार की पेंशन स्कीम में पैसा लगाया है तो उसे क्लेम कर सकते हैं. इन सभी को मिलाकर टैक्स छूट 1.5 लाख रुपए से ज्यादा नहीं हो सकती. 

2. Home Loan से बचाएं टैक्स

होम लोन के प्रिंसिपल पर आप सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट ले सकते हैं. हालांकि, इसमें 1.5 लाख रुपए से ज्यादा नहीं हो सकती है. इसलिए अगर 80C में आपने बाकी कोई डिडक्शन क्लेम (पहले प्वाइंट के सभी प्लान) की है तो याद रखें ये सभी 1.50 लाख रुपए तक ही हो सकता है. 

3. Home loan का ब्याज बचाएगा टैक्स

होम लोन प्रिंसिपल के अलावा ब्याज पर भी टैक्स छूट मिलती है. इस छूट को आप इनकम टैक्स के सेक्शन 24 (b) के तहत ले सकते हैं. इसमें 2 लाख रुपए तक का ब्याज टैक्स छूट के दायरे में आता है. ये टैक्स छूट तभी मिलेगी जब प्रॉपर्टी 'self-occupied' हो.

4. NPS में निवेश

केंद्र सरकार की पेंशन स्कीम न्यू पेंशन सिस्टम (NPS) में निवेश करते हैं तो सेक्शन 80CCD (1B) के तहत 50,000 रुपए की अतिरिक्त छूट मिलती है. ये छूट सेक्शन 80C में मिली 1.5 लाख रुपए की टैक्स छूट से अलग है. सेक्शन 80CCD2 के तहत केंद्र सरकार की पेंशन स्कीम में एम्प्लॉयर के योगदान को भी क्लेम किया जा सकता है. इसकी दो शर्तें हैं. पहली ये कि नियोक्ता कोई पब्लिक सेक्टर यूनिट (PSU) हो, राज्य सरकार की हो या कोई और. इसमें डिडक्शन की लिमिट सैलरी का 10% है. अगर नियोक्ता केंद्र सरकार है तो डिडक्शन की लिमिट 14% होगी.

5. हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम

अगर आपने हेल्थ इंश्योरेंस लिया है तो सेक्शन 80D में प्रीमियम क्लेम कर सकते हैं. अगर आपने खुद के लिए, पार्टनर, बच्चों और माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ली है तो 25,000 रुपए तक का प्रीमियम क्लेम कर सकते हैं. इस केस में माता-पिता की उम्र 60 साल से कम होनी चाहिए. अगर आपके माता-पिता सीनियर सिटिजन है, तो टैक्स छूट की सीमा 50,000 रुपए होगी. 5000 रुपए का हेल्थ चेकअप भी इसमें मिलता है. हालांकि, डिडक्शन हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम से ज्यादा नहीं हो सकता.

6. विकलांग आश्रितों के इलाज का खर्च

विकलांग आश्रितों के इलाज या उनके रखरखाव पर होने वाला खर्च क्लेम किया जा सकता है. साल में आप 75,000 रुपए तक क्लेम कर सकते हैं. अगर आश्रित व्यक्ति की अपंगता 80% या इससे ज्यादा है तो 1.25 लाख रुपए का टैक्स डिडक्शन मेडिकल खर्चों पर क्लेम किया जा सकता है.

7. मेडिकल ट्रीटमेंट के पेमेंट पर टैक्स छूट

इनकम टैक्स के सेक्शन 80DD 1B के तहत खुद या किसी आश्रित की विशिष्ट बीमारी के इलाज के लिए भुगतान किए गए 40,000 रुपए तक की कटौती को क्लेम किया जा सकता है. अगर व्यक्ति सीनियर सिटिजन है तो ये लिमिट 1 लाख रुपए होती है.

8. एजुकेशन लोन के ब्याज पर टैक्स छूट

एजुकेशन लोन पर ब्याज में टैक्स कटौती का अनलिमिटेड बेनेफिट मिलता है. टैक्स क्लेम उसी वर्ष से शुरू हो जाता है, जिस साल में लोन चुकाना शुरू होता है. अगले 7 साल तक इसका फायदा मिलता है. कुल 8 साल तक आप टैक्स छूट ले सकते हैं. दो बच्चों के एजुकेशन लोन पर एक साथ टैक्स छूट मिलती है. अगर दो बच्चों के लिए 10% ब्याज दर पर 25-25 लाख का लोन लिया है, तो कुल 50 लाख रुपए पर सालाना ब्याज 5 लाख रुपए देना होगा. इस पूरी राशि पर टैक्स छूट मिलेगी.

9. इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लोन पर छूट

इनकम टैक्स के सेक्शन 80EEB के तहत, अगर आपने कोई इलेक्ट्रिक गाड़ी खरीदने के लिए लोन लिया है तो उसके ब्याज पेमेंट पर 1.5 लाख रुपए तक टैक्स छूट मिलती है.

10. हाउस रेंट पेमेंट

अगर HRA आपकी सैलरी का हिस्सा नहीं है तो आप सेक्शन 80GG के तहत हाउस रेंट पेमेंट को क्लेम कर सकते हैं. हां अगर आपकी कंपनी HRA देती है तब आप 80GG के तहत हाउस रेंट को क्लेम नहीं कर सकते हैं.