झटपट फाइल करो ITR, फॉर्म-16 से 26AS तक इनकम टैक्स रिटर्न भरते वक्त ये डॉक्युमेंट्स रखो साथ
#ITRFileKaroJhatpat: अगर पहली बार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना है तो जरूरी जानकारियां जुटा लेनी चाहिए. सबसे बड़ी बात है डॉक्युमेंट्स. चाहे खुद भरें या किसी से भरवाएं डॉक्युमेंट्स कम हुए तो दिक्कत हो सकती है.
नौकरी करते हैं? इनकम टैक्स (#ITRFileKaroJhatpat) भी भरते होंगे. रिटर्न फाइल कर दिया? अब तो चंद रोज ही बचे हैं. जल्दी कर दें. वित्त वर्ष 2019-20 के रिटर्न फाइलिंग की 31 दिसंबर 2020 लास्ट डेट है. अगर पहली बार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना है तो जरूरी जानकारियां जुटा लेनी चाहिए. सबसे बड़ी बात है डॉक्युमेंट्स. चाहे खुद भरें या किसी से भरवाएं डॉक्युमेंट्स कम हुए तो दिक्कत हो सकती है. आयकर रिटर्न भरते वक्त कौन-कौन से डॉक्युमेंट्स होने चाहिए इसकी लिस्ट यहां है. तैयार कर लें.
फॉर्म-16 (Form-16)
सबसे जरूरी डॉक्युमेंट है. इनमें सैलरी से लेकर टैक्स की पूरी डिटेल होती है. इसकी मदद से ही आईटीआर (ITR) फाइल होगा. यह आपको अपनी कंपनी की तरफ से मिल जाता है. अगर न मिला हो तो कंपनी के फाइनेंस डिपार्टमेंट या HR से मांग सकते हैं. इसमें आपकी सालाना इनकम के साथ टैक्स कटने की पूरी जानकारी मिल जाएगी. इससे ही आपके टैक्स की कैलकुलेशन होगी. हर कंपनी (Employer) को अपने कर्मचारी (Employee) को फॉर्म-16 देना अनिवार्य है.
दो पार्ट में होता है फॉर्म-16
फॉर्म-16 दो हिस्से पार्ट A और पार्ट B में होता है. पार्ट ए में संस्थान का TAN, उसका और कर्मचारी का PAN, पता, एसेसमेंट ईयर, रोजगार की अवधि और सरकार को जमा किए गए TDS का ब्योरा होता है. पार्ट बी में सैलरी का ब्रेक-अप, क्लेम किए गए डिडक्शन, कुल टैक्स योग्य इनकम और सैलरी से काटे गए टैक्स का ब्योरा शामिल होता है.
फॉर्म- 26AS
दूसरा सबसे जरूरी डॉक्युमेंट. फॉर्म 26AS में टैक्सपेयर का पूरा इनकम टैक्स रिकार्ड होता है. इसमें 3 बहुत जरूरी बातें होती हैं. पहला: TDS का ब्योरा, दूसरा: टैक्स कलेक्टेड ऐट सोर्स का ब्योरा और तीसरा: टैक्सपेयर के एडवांस टैक्स/सेल्फ असेसमेंट टैक्स का ब्योरा. जब भी आप टैक्स चुकाएंगे तो इनकम टैक्स विभाग उस भुगतान को आपके पैन नंबर आधारित रिकार्ड में दर्ज कर देता है. इस रिकॉर्ड को ही Form 26AS कहा जाता है. इसे आप टैक्सपेयर्स का टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट कह सकते हैं. फार्म 26AS आप इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं.
इंट्रस्ट इनकम सर्टिफिकेट
यह भी काफी जरूरी डॉक्युमेंट्स में से एक है. इंट्रस्ट इनकम सर्टिफिकेट यानी ब्याज से हुई आय का सर्टिफिकेट. अगर आपने बैंक या पोस्ट ऑफिस में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) कराई या फिर किसी और ब्याज मिलने वाली स्कीम में पैसे निवेश किए हैं तो ब्याज से हुई आय का सर्टिफिकेट या फिर बैंक स्टेटमेंट भी रखना जरूरी है. आप उसकी सही जानकारी ITR फाइल करते वक्त भरें. आयकर कानून की धारा 80TTA के तहत 10 हजार रुपए तक की ब्याज से हुई कमाई पर टैक्स छूट ले सकते हैं.
टैक्स सेविंग सर्टिफिकेट
इनकम टैक्स डिक्लेरेशन प्रूफ सब्मिट करते वक्त अगर आपने अपने टैक्स सेविंग डॉक्युमेंट्स कंपनी को नहीं दिए तो रिटर्न भरते टाइम इनकी जरूरी पड़ेगी. क्योंकि, बचत का प्रूफ तो देना होगा. ये टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट प्रूफ LIC प्रीमियम की रसीद, इंश्योरेंस प्रीमियम की रसीद, PPF में निवेश की पासबुक, 5 साल की FD की रसीद, ELSS का सबूत, दान की रसीद, ट्यूशन फीस की रसीद हो सकती है.
मेडिकल इंश्योरेंस
सेक्शन 80D के तहत आप 25 हजार रुपए तक हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स छूट ले सकते हैं. इंश्योरेंस पॉलिसी आपकी, जीवनसाथी की या बच्चों की हो सकती है. सीनियर सिटिजन के लिए आयकर छूट की सीमा 50 हजार रुपए है. अगर आप इसके तहत टैक्स छूट का फायदा लेना चाहते हैं तो इन सबकी रसीद भी ITR फाइल करते समय अपने साथ रखें.
हाउसिंग लोन पर दिया गया ब्याज
हाउसिंग लोन पर मिलने वाला ब्याज टैक्स सेविंग के लिए योग्य है. एजुकेशन लोन पर दिए जाने वाले ब्याज पर भी आप टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं. सेक्शन 80E एजुकेशन लोन पर ब्याज में कटौती प्रदान करता है.
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