आर्थिक परेशानी न आये खुशियों के आड़े, समय-समय पर अपनी फाइनेंशियल फिटनेस को करें एनालाइज- चेक करें डीटेल्स
अपनी सेविंग को होल्ड करने और अपने पैसे को सही तरह से यूज करने के लिए फाइनेंशियल फिटनेस को एसेस करते रहना चाहिए.
भविष्य में आने वाली परेशानियों को एनालाइज नहीं किया जा सकता, लेकिन आर्थिक मजबूती आपको कई तरह की दिक्कतों से लड़ने की ताकत देती है. अपनी फाइनेंशियल फिटनेस को एनालाइज करने के लिए आपको कुछ कदम उठाने चाहिए. इसके लिए आप अपने क्रेडिट स्कोर के बारे में जानकारी ले सकते हैं. इसके साथ ही अपने एसेट एलोकेशन को भी चेक करना जरुरी होता है. फाइनेंशियल फिटनेस एसेस करने के लिए सेविंग रेट को भी चेक करना चाहिए. इसके साथ-साथ अपनी टोटल एसेट लाएबिलिटी को केलक्यूलेट करना भी एक अच्छा ऑप्शन रहता है. अपने क्रेडिट स्कोर को आप CIBIL ट्रांसयूनियन, इक्विफैक्स और एक्सपेरियन में से किसी भी एक से जनरेटेड रिपोर्ट से जान सकते हैं. क्रेडिट रिपोर्ट आपकी क्रेडिट वर्थीनेस और डेट रिपेमेंट हिस्ट्री को दिखा कर आपकी फाइनेंशियल हेल्थ का डिटेल में एनालिसिस देती है. ये रिपोर्ट आपको 0 - 900 के स्केल पर रैंक करती है. भारत में ज्यादातर लोन 750 से ऊपर के स्कोर वाले लोगों को दिए जाते हैं. एक खराब स्कोर का मतलब है कि आप अपने फाइनेंस के साथ अच्छे नहीं हैं. एक लेंडर आपके क्रेडिट स्कोर के बेसिस पर ही लोन प्रोवाइड करता है. ऐसे में एक खराब क्रेडिट स्कोर आपके लोन लेने के रास्ते में बाधा बन सकता है. आपको हर छह महीने में कम से कम एक बार अपने स्कोर की जांच करनी चाहिए.
अपना एसेट एलोकेशन चेक करें
एसेट एलोकेशन आपकी उम्र, इंवेस्टमेंट गोल, इंवेस्टमेंट की लिमिट और रिस्क लेने की कैपेबिलिटी बताता है. इसके तहत एसेट क्लास (जैसे इक्विटी, डेट, गोल्ड और रियल एस्टेट) में इंवेस्ट किया जाता है. इसका टार्गेट, रिस्क को कम करना, ऑप्टिमम रिटर्न प्रोवाइड करना और इंवेस्टमेंट के गोल्स को इंश्योर करना है. asset allocation का कोई एक फॅार्मुला नहीं है जो सभी को सूट करे. आपके long-term पोर्टफोलियो को आदर्श रूप से "100 - आपकी उम्र' के फॅार्मुला को फॅालो करना चाहिए. इसलिए अगर आप 30 साल के हैं, तो आपके इंवेस्टमेंट का 70 फीसदी अमाउंट इक्विटी या इक्विटी से रिलेटेड इंस्ट्रूमेंट जैसे कि इक्विटी यूलिप या इक्विटी म्यूचुअल फंड में होना चाहिए. और आपके पोर्टफोलियो का 15 -20 परसेंट अमाउंट फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज जैसे कि बैंक एफडी, बॉन्ड और डेट म्यूचुअल फंड में होना चाहिए. जबकि आप बाकी अमाउंट को गोल्ड फंड में या रियल एस्टेट में भी इंवेस्ट कर सकते हैं.
अपनी सेविंग रेट चेक करें
सेविंग रेट आपकी इनकम का वो परसेंटेज है जिसे आप हर साल बचा रहे हैं. हाई सेविंग रेट से इंवेस्टमेंट की रेट भी हाई हो सकती है. आपका सेविंग रेशो 30 -40 फीसदी होना चाहिए. सेविंग को लंबे गोल्स के लिए और रिटायरमेंट की स्कीम बनाने के लिए इक्विटी म्युचुअल फंड और यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) मे इंवेस्ट करना चाहिए.
अपने इमरजेंसी फंड का आकलन करें
अगर अचानक होने वाली घटना के कारण आपकी इनकम रुक जाती है तो ये फंड आपके मंथली एक्सपेंस को पूरा करेगा. आपके मंथली एक्सपेंस में आपके लोन की ईएमआई, यूटिलिटी बिल, ग्रोसरी बिल, बच्चों की एजुकेशन पर खर्च शामिल होते हैं. इमरजेंसी फंड आपके एवरेज मंथली एक्सपेंडीचर के 3-6 महीनों को कवर करने के लिए कैपेबल होना चाहिए.
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