आजकल हर दिन एक से बढ़कर एक फीचर्स और लुक वाली कार लॉन्‍च हो रही हैं, जिन्‍हें देखकर हमारा भी मन खरीदने का करता है. कई बार लुक और फीचर्स से अट्रैक्‍ट होकर हम वो कार भी खरीद लेते हैं, जो वास्‍तव में हमारे बजट से बाहर होती है. जाहिर है कि ऐसे शौक को पूरा करने के लिए लोन के तौर पर बड़ा अमाउंट लेना पड़ता है जिसे बाद में किस्‍त के जरिए चुकाना भी पड़ता है. बड़ा अमाउंट होने के कारण किस्‍त भी बड़ी हो जाती है और इस चक्‍कर में बजट की ट्रेन पटरी से उतर जाती है.

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अगर इन परेशानियों से आपको बचना है, तो कार को बजट के हिसाब से खरीदिए. अगर आपको इसमें किसी तरह का कन्‍फ्यूजन है, तो यहां जान लीजिए वो गणित जिससे आप अपनी आमदनी के हिसाब से ये आसानी से तय कर सकते हैं कि आपके लिए किस रेंज की कार बेहतर है. इससे आपकी जरूरत भी पूरी हो जाएगी और बजट भी नहीं गड़बड़ाएगा.

सालाना पैकेज के आधे बजट से ज्‍यादा महंगी न हो कार

कार खरीदने के लिए जा रहे हैं तो याद रखें कि आपकी कार की कीमत आपके सालाना पैकेज से आधी कीमत से ज्‍यादा नहीं होनी चाहिए. मान लीजिए कि आपका पैकेज 10 लाख का है तो कार 5 लाख तक की, 15 लाख का है तो 7.5 लाख तक की और 20 लाख का है तो 10 लाख तक की कार आप खरीद सकते हैं. कार के बजट का मतलब कार की ऑन-रोड कीमत से है. इसके अलावा कार खरीदते समय भी आपको डाउन पेमेंट, लोन अमाउंट और ईएमआई का कैलकुलेशन कर लेना चाहिए.

कैलकुलेशन के लिए ये फॉर्मूला आएगा काम

कार खरीदते समय 20/4/10 फॉर्मूला को हमेशा ध्यान में रखें. . इसमें 20 यानी कि 20 फीसदी डाउनमेंट है. यानी कि आपकी कार की डाउनपेमेंट आपकी सालाना सैलरी के 20 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा फॉर्मूले में 4 का मतलब 4 साल से है, यानी कि लोन की अवधि 4 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. आखिर में 10 का मतलब है कि 10%, यानी कि ईएमआई की राशि सालाना सैलरी के 10 फीसदी हिस्से से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अगर आप इस फॉर्मूले के मुताबिक अपनी कार को खरीदेंगे, तो कभी भी आपका बजट में दिक्‍कत नहीं आएगी.

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