रिटायरमेंट के बाद आपके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं होता, लेकिन पैसों की जरूरत बनी रहती है. ऐसे में छोटी-छोटी जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर होना पड़ता है. इसलिए ये बहुत जरूरी है कि नौकरी के साथ ही आप अपने लिए कुछ ऐसे इंतजाम करें, जिससे बुढ़ापे पर आपको रेग्‍युलर इनकम होती रहे और आपको पैसों के लिए किसी पर डिपेंड न होना पड़े. ऐसे में एन्‍युटी प्‍लान आपके लिए काफी मददगार हो सकते हैं. 

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एन्युटी एक इंश्‍योरेंस प्रोडक्‍ट है, जिसमें आपके और बीमा कंपनी के बीच एक तरह का कॉन्‍ट्रैक्‍ट होता है. इसमें व्‍यक्ति को एकमुश्‍त निवेश करना होता है. भविष्‍य में आपको इसके बदले मासिक, तिमाही या वार्षिक रूप से भुगतान किया जाता है. एन्‍युटी का इस्‍तेमाल रिटायरमेंट पोर्टफोलियो के हिस्से के तौर किया जाता है. इसमें जब तक आप जीवित रहते हैं, तब तक आपको निश्चित आय मिलती है. आपकी मृत्‍यु के बाद नॉमिनी राशि को लेने का अधिकारी होता है. लेकिन एन्‍युटी प्‍लांस कई तरह के होते हैं. अगर आप भी इसे परचेज करने का प्‍लान बना रहे हैं, तो पहले जान लें इसके बारे में-

कई तरह के होते हैं एन्‍युटी प्‍लान

लाइफ एन्युटी : इसमें व्‍यक्ति को मृत्यु तक एन्युटी का भुगतान किया जाता है. भुगतान मासिक, तिमाही या वार्षिक किस रूप में हो, इसका विकल्‍प आप चुन सकते हैं.

गारंटीड पीरियड के लिए एन्युटी : इसमें पॉलिसी होल्डर की मृत्यु के बाद भी कुछ निश्चित सम तक के लिए एन्‍युटी का भुगतान किया जा सकता है. निश्चित समय पूरा होने के बाद एन्‍युटी मिलना भी बंद हो जाती है.

जॉइंट लाइफ एन्युटी : इसमें पॉलिसीधारक की मृत्‍यु के बाद आपके जीवनसाथी को उसके पूरे जीवनकाल तक एन्युटी का भुगतान किया जाता है.

परचेज प्राइस के रिटर्न के साथ लाइफ एन्युटी : इसमें पॉलिसीहोल्डर को उनकी मृत्यु तक एन्युटी का भुगतान मिलेगा. मृत्यु के बाद, एन्युटी खरीदने के लिए उन्होंने जो अमाउंट पे किया था, वह उनके नॉमिनी को रिटर्न किया जाता है.

परचेज प्राइस के रिटर्न साथ जॉइंट लाइफ एन्युटी : इन प्‍लान में पॉलिसीधारक की मृत्‍यु के बाद उसके जीवनसाथी को एन्‍युटी पूरे जीवनकाल तक मिलती है और उसकी भी मृत्‍यु हो जाने के बाद नॉमिनी को शुरू में इन्वेस्ट किया गया अमाउंट मिलता है.

टैक्‍स बेनिफिट नहीं मिलता

ध्‍यान रहे कि एन्‍युटी आपकी इनकम के साथ जुड़ती है, लिहाजा इसमें आपको किसी तरह के टैक्‍स से छूट नहीं मिलती है. पॉलिसीधारक जिस टैक्स स्लैब में आते हैं, उन्‍हें उसके हिसाब से टैक्‍स देना पड़ता है.