House Rent Allowance: अगर आप नौकरी करते हैं तो हाउस रेंट अलाउंस (HRA) जरूर मिलता है. यह सैलरी का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. इससे टैक्स बचाने में मदद मिलती है. हालांकि, इसके लिए रेंट देना जरूरी है. लेकिन, बिना किराये पर रहे आप कैसे हाउस रेंट अलाउंस (House Rent Allowance) का फायदा उठा सकते हैं. कैसे इसे क्लेम किया जा सकता है? इसे समझने के लिए पूरा प्रोसेस समझना होगा.

कैसे मिलता है HRA का फायदा?

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हाउस रेंट अलाउंट (House Rent Allowance) सैलरी का बड़ा हिस्सा होता है. टैक्स बचाने में इसकी अहम भूमिका होती है. हालांकि, हाउस रेंट अलाउंस (HRA) को लेकर लिमिट भी है और साथ में कुछ महत्वपूर्ण शर्तें भी हैं. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10 (13A) के तहत HRA पर टैक्स बेनिफिट मिलता है. HRA टैक्स एग्जेम्पशन के दायरे में आता है. ग्रॉस टैक्सेबल इनकम (Gross Taxable Income) निकालने से पहले इस पार्ट को आपकी टोटल इनकम (Total Income) से माइनस कर दिया जाता है. 

ऐसे भी मिलता है HRA का फायदा

इसका फायदा सेल्फ एंप्लॉयड लोगों को नहीं मिलता है. अगर आप अपने घर में रहते तब भी इसका फायदा नहीं उठाया जा सकता है. HRA का फायदा लेने के लिए जरूरी है कि आप किराए के घर में रहते हों. मान लीजिए कि आप दिल्ली-NCR में नौकरी करते हैं और अपने घर से ऑफिस आना-जाना है तो क्या आपको HRA का लाभ मिलेगा? यह एक महत्वपूर्ण सवाल है.

बिना किराये पर रहे ले सकते हैं फायदा

अगर आप किराए पर नहीं रहते हैं लेकिन अपने माता-पिता या किसी रिलेटिव के यहां रहते हैं और वहीं से ऑफिस आना-जाना है तो भी HRA का फायदा मिलता है. टैक्स एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर घर आपके किसी रिलेटिव जैसे माता-पिता के नाम पर है तो इस पर टैक्स छूट (Tax save) ले सकते हैं. टैक्स छूट (Tax Exemption) के लिए माता-पिता को रेंट देना होगा. इसके लिए रेंट अग्रीमेंट और रेंट रिसीट की जरूरत होगी. हालांकि, रेंट का टोटल अमाउंट माता-पिता की इनकम के रूप में दिखानी होगी. अगर वह टैक्स के दायरे में आते हैं तो रेंट अमाउंट उनकी टोटल इनकम में जुड़ जाएगी और उन्हें इस पर टैक्स जमा करना होगा. अगर उनकी कोई इनकम नहीं है तो यह उनके लिए इनकम का एक सोर्स भी होगा. इस तरह डबल बेनिफिट उठाया जा सकता है. शर्त ये है कि घर टैक्सपेयर के नाम पर नहीं होना चाहिए.

कैसे होती है कैलकुलेशन?

HRA को लेकर 3 शर्तें होती हैं. 

1. यह आपकी बेसिक सैलरी का 40/50 फीसदी होगा. मेट्रो सिटीज (दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई) के लिए लिमिट 50 फीसदी और नॉन-मेट्रो सिटीज के लिए 40 फीसदी अमाउंट होता है. 

2. कंपनी आपको कितना HRA दे रही है. 

3. आपने एक्चुअल में कितना रेंट जमा किया है- माइनस बेसिक सैलरी का 10 फीसदी. 

कैलकुलेशन में बेसिक सैलरी के साथ डियरनेस अलाउंस (Dearness Allowance) भी जुड़ा होता है, अगर आपको DA का फायदा मिल रहा है. ऊपर के तीन कंडीशन में जो मिनिमम अमाउंट होगा, उस पर टैक्स एग्जेम्पशन का फायदा मिलेगा