GST Rates: कंपनी को बैंक ऋण के लिए दी गई कॉर्पोरेट गारंटी पर लग सकता है 18% जीएसटी, कल आएगा फैसला
GST Rates Revision: जीएसटी काउंसिल शनिवार की बैठक में मूल कंपनियों की ओर से अपनी सहायक कंपनियों को बैंकों से लोन लेने के लिए दी गई कॉर्पोरेट गारंटी पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने की संभावना पर विचार कर सकता है.
GST Rates Revision: जीएसटी परिषद मूल कंपनियों की ओर से अपनी सहायक कंपनियों को बैंकों से लोन लेने के लिए दी गई कॉर्पोरेट गारंटी पर 18 प्रतिशत की कर लगाने की संभावना पर विचार कर सकती है. विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, यह मुद्दा हाल ही में आयोजित विभिन्न बैठकों के दौरान जीएसटी परिषद की कानून समिति द्वारा उठाया गया था. समिति का विचार है कि कॉर्पोरेट गारंटी एक तरह की आपूर्ति है जो 18 प्रतिशत जीएसटी ब्रैकेट में आती है. इसलिए यह कॉर्पोरेट गारंटी पर भी लागू होनी चाहिए.
क्या है समिति की सिफारिश?
कानून समिति ने कॉर्पोरेट गारंटी प्रदान करने के लिए आयकर अधिनियम के तहत सेफ हार्बर रूल के अनुरूप मूल्यांकन नियमों को अपनाने की सिफारिश की है. इन नियमों के तहत, पात्र अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में, न्यूनतम स्वीकार्य कमीशन/शुल्क गारंटी राशि का एक प्रतिशत है. इसलिए, यह प्रस्तावित किया गया कि जीएसटी के तहत संबंधित पार्टी लेनदेन के मामले में भी इसे अपनाने पर विचार करने की आवश्यकता है. अंतिम फैसला शनिवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक में लिया जाएगा.
क्या है कॉरपोरेट गारंटी?
कॉर्पोरेट गारंटी, समूह कंपनियों के बीच एक व्यवस्था है जिसके द्वारा एक मूल कंपनी किसी बैंक से ऋण सुविधाएं हासिल करते समय एक सहायक कंपनी के लिए गारंटर के रूप में कार्य करने के लिए सहमत होती है. ये व्यवस्थाएं या तो बिना किसी प्रतिफल के या ऋण राशि पर मामूली कमीशन के साथ निष्पादित की जाती हैं. जीएसटी परिषद इस मुद्दे पर भी विचार कर सकती है कि क्या निजी गारंटी या किसी कंपनी के लिए प्रमोटरों/निदेशकों दी गई गारंटी पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाना चाहिये.
निजी गारंटी के मामले में, कानून समिति ने भारतीय रिज़र्व बैंक के आदेश का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि ऋण लेने के लिए बैंक को व्यक्तिगत गारंटी प्रदान करने के बदले कंपनी द्वारा निदेशक को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कमीशन, ब्रोकरेज शुल्क या किसी अन्य रूप में कोई भुगतान नहीं किया जा सकता है.
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