फिक्स्ड डिपॅाजिट है निवेश का सबसे सुरक्षित जरिया, लेकिन इन्वेस्टमेंट से पहले जान लें कुछ खास बातें
फिक्स्ड डिपॅाजिट (Fixed Deposit) हमेशा से ही सेविंग करने का एक पंसदीदा ऑप्शन रहा है. इसमें इंवेस्टमेंट करने पर कस्टमर को रेग्युलर सेविंग अकाउंट की तुलना में ज्यादा इंटरेस्ट मिलता है. लेकिन आपको इससे जुड़ी कुछ खास बातों का पता होना जरुरी है.
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) सेविंग का एक ऐसा ऑप्शन है जहां आप अपना पैसा एक मैच्योरिटी पीरियड के लिए जमा करते हैं. एफडी में इंवेस्ट करने पर कस्टमर को इंटरेस्ट मिलता है. लेकिन आप अपने अमाउंट को एफडी से मैच्योरिटी पीरियड के पहले नहीं निकाल सकते हैं. ऐसा करने के लिए आपको पेनल्टी फीस का भुगतान करना होगा. फिक्स्ड डिपॉजिट में इंवेस्ट करने का सीनियर सिटीजन को बहुत फायदा मिलता है. बैंक सीनियर सिटीजन को फिक्स्ड डिपॉजिट में इंवेस्टमेंट के लिए हाई इंटरेस्ट रेट ऑफर करती है. यहां आपको एक तय अमाउंट एक अवधि तक पे करना होता है. फिक्स्ड डिपॉजिट पर सरकारी और प्राइवेट बैंक अलग-अलग इंटरेस्ट रेट देतें हैं. आप पोस्ट ऑफिस में भी फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट ओपन कर सकते हैं. लेकिन फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में इंवेस्ट करने से पहले आपको इससे जुड़ी जरुरी बातों की जानकारी होनी चाहिए. इन बातों को ध्यान में रखते हुए आप और आसानी से एफडी में निवेश कर सकतें हैं. और अपने इंवेस्टमेंट पर बेहतर रिटर्न पा सकते हैं. अगर आप एफडी अकाउंट ओपन करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको जरुरी डॅाक्यूमेंट्स लेकर नजदीकी बैंक जाना होगा. यहां जाकर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) अकाउंट का फॅार्म फिल करें और फिक्स डिपॉजिट में इन्वेस्ट किए जाने वाले अमाउंट को जमा कर दें.
इन बातों का रखें ख्याल
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पूरी तरह से सेफ नहीं हैं
अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करते हैं तो ये न समझें कि आपकी राशि सुरक्षित है. अगर कोई बैंक डूब जाता है तो आपको अच्छा खासा नुकसान हो सकता है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए अपनी राशि को हिस्सों में बांटकर अलग-अलग बैंक में इंवेस्ट करें. इससे आपकी रकम भी सेफ रहेगी साथ ही इमरजेंसी पड़ने पर आपको पूरे डिपॅाजिट को नहीं तोड़ना पड़ेगा. साथ ही आपको सिर्फ उसी अमाउंट पर पेनल्टी देनी पड़ेगी जितनी आपको जरुरत है. तो कह सकते हैं कि ऐसा करने से आपको बेहतर लिक्विडिटी मिलेगी.
मैच्योरिटी से पहले फंड का विड्रॅाल न करें.
फिक्स्ड डिपॉजिट में इंवेस्टमेंट एक निश्चित समय तक के लिए किया जाता है. अगर आप तय अवधि से पहले अपने अमाउंट का विड्रॅाल करेंगे तो आपको नुकसान हो सकता है. अगर आपने 5 साल के लिए फिक्स्ड डिपॅाजिट में इंवेस्टमेंट किया है तो आप इसके मैच्योरिटी के बाद ही विड्रॅाल कर सकते हैं. अगर फिर भी आपको राशि निकालनी है तो कम से कम एक साल का इंतजार करें. क्योंकि एक साल के डिपॅाजिट पर ही आपको लागू इंटरेस्ट रेट मिल पाएगी.
एफडी के इंटरेस्ट से होने वाली कमाई पर लगता है टैक्स
एफडी से होने वाली कमाई टैक्सेबल होती है. अगर आपका इंटरेस्ट अमाउंट 10,000 रुपये तक बढ़ता है तो बैंक आपको मिलने वाली राशि पर 10.3 फीसदी का टैक्स काट लेगा. इसी तरह अगर आप की सालाना इनकम पांच लाख रुपये से ज्यादा है तो आपको अधिक टैक्स पे करना पड़ेगा. लेकिन सीनियर सिटीजन जिनकी उम्र 60 साल से ज्यादा है, उन्हें आयकर कानून की धारा 80TTB के तहत एफडी पर इंटरेस्ट के रूप में होने वाली इनकम पर 50,000 रुपये तक की छूट मिलती है. साथ ही आपको अपना टैक्स रिटर्न फाइल करते समय एफडी से हुई कमाई को मेंशन करना चाहिए.
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एफडी से होने वाली इनकम आपकी कमाई की तरह ही होगी
भले ही आपने अपने जीवनसाथी के नाम पर ही क्यूं न इंवेस्ट करा हो. आपको एफडी से होने वाली कमाई पर टैक्स देना होगा. इसका मतलब है कि अगर पति ने अपनी पत्नी के नाम पर एफडी में इनवेस्ट करा है, तो एफडी से होने वाली कमाई को पति की इनकम के रुप में ही माना जाएगा. हालाकि बच्चे के नाम पर इंवेस्ट करने पर आपको 1500 रुपये सालाना की टैक्स में छूट भी मिल सकती है.