बच्चों की पढ़ाई के लिए EPF अकाउंट से कर सकते हैं कितने फंड की निकासी! इसके लिए किस फॉर्म होती है जरूरत?
नौकरी के दौरान अगर ईपीएफओ मेंबर को बच्चों की एजुकेशन, शादी या जमीन वगैरह के लिए पैसों की जरूरत पड़े, तो वो आंशिक निकासी भी कर सकते हैं. जानिए आंशिक निकासी के क्या नियम हैं और ईपीएफ के फंड निकासी के लिए किस फॉर्म की होती है जरूरत?
EPF Partial Amount Withdrawal: ईपीएफओ मेंबर की सैलरी से हर महीने होने वाले कॉन्ट्रीब्यूशन और एंप्लॉयर के योगदान से ईपीएफ अकाउंट में बड़ा फंड जोड़ा जा सकता है. आमतौर पर इस पैसे को लोग रिटायरमेंट फंड और पेंशन फंड के तौर पर तैयार करते हैं. लेकिन नौकरी के दौरान अगर आपको बच्चों की एजुकेशन, शादी या जमीन वगैरह के लिए पैसों की जरूरत पड़े, तो आप आंशिक निकासी भी कर सकते हैं. जानिए आंशिक निकासी के क्या नियम हैं और ईपीएफ के फंड निकासी के लिए किस फॉर्म की होती है जरूरत?
बच्चों की पढ़ाई के लिए 50 फीसदी रकम की निकासी
अगर आप अपनी या बच्चों की पढ़ाई के लिए ईपीएफ अकाउंट से पैसा निकालना चाहते हैं तो आप ऐसा तभी कर सकते हैं, जब आपने 7 सालों की नौकरी पूरी कर ली हो और आप लगातार 7 सालों से ईपीएफ अकाउंट में योगदान करते आ रहे हों. 7 साल की नौकरी के बाद आप ईपीएफ अकाउंट से अपने योगदान का 50 फीसदी तक निकाल सकते हैं.
इन स्थितियों में कर सकते हैं आंशिक निकासी
आपकी बहन, बेटी, बेटा या किसी खास परिवारीजन की शादी है और आपको पैसों की जरूरत है, तो भी आप ईपीएफ से आंशिक रूप से पैसा निकाल सकते हैं. इसके लिए भी 7 वर्ष की नौकरी होना जरूरी है. 7 वर्ष की नौकरी के बाद आप अपने अंशदान की 50 फीसदी तक रकम निकाल सकते हैं.
कर्मचारी 5 सालों तक निरंतर सेवा में है, तो वो घर के निर्माण या खरीद या मरम्मत के लिए भी राशि निकाल सकता है. लेकिन ये रकम नियम के अनुसार एक निश्चित सीमा तक ही निकाली जा सकती है.
5 साल तक ईपीएफ में लगातार कॉन्ट्रीब्यूशन करने के बाद आप घर के रेनोवेशन के लिए भी राशि निकाल सकते हैं. ये रकम मासिक वेतन का 12 गुना तक हो सकती है. कर्मचारी ने न्यूनतम 3 वर्ष की सेवा की हो, तो वो होम लोन के भुगतान के लिए रकम निकासी कर सकता है. ऐसे में वो ईपीएफ अकाउंट में कुल योगदान (कर्मचारी+नियोक्ता दोनों का अंशदान) का 90 प्रतिशत तक राशि निकाल सकता है.
अगर आपकी नौकरी छूट गई है या आपने छोड़ दी है और एक महीने बाद ही आप फंड की निकासी करना चाहते हैं; तो आप 75 फीसदी तक रकम निकाल सकते हैं. बकाया राशि को नए रोजगार मिलने पर आपके नए EPF खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा.
आंशिक निकासी के लिए फॉर्म 31
नौकरी के दौरान पैसों से जुड़ी जरूरत को पूरा करने के लिए जब आप अपने पीएफ बैलेंस से आंशिक निकासी करते हैं, तब आपको पीएफ निकासी फॉर्म 31 की जरूरत पड़ती है. इसे ईपीएफ क्लेम फॉर्म 31 (EPF Claim Form 31) भी कहा जाता है.
इन स्थितियों में निकाल सकते हैं पूरा पैसा
गंभीर बीमारी के इलाज, काम के दौरान किसी हादसे में स्थायी रूप से विकलांग होने पर, कंपनी के बंद हो जाने पर या इस तरह की आपात स्थिति में भी ईपीएफ से रकम निकासी की जा सकती है. ऐसी स्थितियों में अवधि और पैसों को लेकर कोई शर्त नहीं होती है. अपने या परिवार के इलाज के लिए ईपीएफ अकाउंट होल्डर चाहे तो ईपीएफ की पूरी रकम भी निकाल सकता है, लेकिन इसके लिए उसे एक महीने या उससे ज्यादा समय तक अस्पताल में भर्ती होने का सबूत देना होगा.
कंपनी के 15 दिन से ज्यादा बंद रहने पर कर्मचारी ईपीएफ के तौर पर जमा अपने हिस्से का पूरा पैसा कभी भी निकाल सकता है. वहीं दो महीने लगातार बेरोजगार रहने पर आप पीएफ की पूरी रकम निकाल सकते हैं. इसके अलावा रिटायरमेंट के बाद आप अपने ईपीएफ फंड का पूरा पैसा निकाल सकते हैं.
पूरे फंड की निकासी के लिए फॉर्म 19
जब आपको ईपीएफ के पूरे फंड की निकासी करनी होती है तो इसके लिए पीएफ निकासी फॉर्म 19 की जरूरत पड़ती है. इसे ईपीएफ क्लेम फॉर्म 19 (EPF Claim Form 19) भी कहा जाता है.