अगर आप EPFO के तहत पेंशन पा रहे हैं तो आपकी पेंशन भी किसी सरकारी सेवा से रिटायर पेंशनर की तरह बढ़ सकती है. जी हां, ऐसा सुप्रीम कोर्ट के आदेश से संभव हुआ है. इस आदेश के बारे में कम ही लोग जानते हैं.

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हालांकि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले पेटिशनर को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी. पेटिशनर ने 1996 के EPS एक्‍ट का हवाला दिया था. केस जीतने के बाद उन्‍होंने EPFO में इम्‍प्‍लॉई पेंशन स्‍कीम (EPS) के तहत पेंशन संशोधन के लिए अप्‍लाई किया और उनकी पेंशन में बढ़ोतरी हो गई. 

अगर आप भी चाहते हैं कि आपको रिटायरमेंट के बाद अच्‍छी पेंशन मिले तो इसमें 1996 का EPS एक्‍ट में संशोधन मदद करेगा. इकोनॉमिक टाइम्‍स की खबर के मुताबिक इस संशोधन में किसी भी कर्मचारी को यह अधिकार मिला है कि वह अपने अनिवार्य योगदान को बढ़ा सके.

क्‍या करना होगा

> EPF के नियमों के तहत किसी भी इम्‍प्‍लॉयर को अपने कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12 फीसदी योगदान EPF में जमा करना होता है. 

> इसमें से 8.33 फीसदी हिस्‍सा EPS में चला जाता है.

> EPF में मौजूदा समय में सैलरी कैप 15 हजार रुपए महीना है. इसमें से 1250 रुपए अनिवार्य रूप से EPF खाते में जाएंगे. यानि कर्मचारी को 1250 रुपए प्रति माह EPF में योगदान के लिए कटवाने होंगे.

> 1996 में हुए संशोधन के तहत कर्मचारी को यह अधिकार मिला है कि वह अपना योगदान बढ़ा सके.

> इसके लिए उसे इम्‍प्‍लॉयर का सहमति पत्र लगाना होगा.

> इससे कर्मचारी की हर माह होने वाली PF कटौती बढ़ जाएगी और रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन भी.