क्या सचमुच No Cost EMI की सुविधा में नहीं देना होता कोई ब्याज? जानिए क्या है इस लुभावनी स्कीम की हकीकत
No Cost EMI एक ऐसा ऑफर है, जिसमें ग्राहकों को किसी सामान को ब्याज रहित किस्तों में खरीदने की सुविधा दी जाती है. ऐसे में वास्तविक कीमत को ईएमआई में कन्वर्ट कर दिया जाता है. लेकिन इससे कंपनी को क्या फायदा होता है, कभी सोचा है आपने?
आजकल किसी महंगे सामान को खरीदने के लिए जब आप जाते हैं तो ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कई तरह के डिस्काउंट्स, ऑफर्स वगैरह बताए जाते हैं. No Cost EMI की सुविधा भी इन्हीं लुभावने ऑफर्स का एक हिस्सा है. No Cost EMI एक ऐसा ऑफर है, जिसमें ग्राहकों को किसी सामान को ब्याज रहित किस्तों में खरीदने की सुविधा दी जाती है. ऐसे में वास्तविक कीमत को ईएमआई में कन्वर्ट कर दिया जाता है.
मान लीजिए कि किसी चीज की कीमत 18 हजार रुपए है तो 6 महीने की किस्त के तौर पर ग्राहक को सिर्फ 3000 रुपए महीने देने की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में ग्राहक को लगता है कि No Cost EMI काफी सुविधाजनक और फायदे का सौदा है. लेकिन ये वास्तव में सिर्फ एक छलावा है. यहां जानिए क्या है No Cost EMI की हकीकत.
जानिए क्या कहता है RBI का नियम
इस बारे में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का नियम कहता है कि कोई भी लोन कभी फ्री नहीं होता है. वर्ष 2013 के एक सर्कुलेशन में RBI ने कहा था कि zero percent interest वाली कोई चीज नहीं होती. क्रेडिट कार्ड आउटस्टैंडिंग्स पर zero percent emi स्कीम में ब्याज की रकम की वसूली अक्सर प्रोसेसिंग फीस के रूप में कर ली जाती है. ठीक इसी तरह से बैंक अपने लोन का ब्याज भी उस सामान की कीमत में शामिल करके वसूल लेते हैं. यानी RBI का सर्कुलर कहता है कि लोन के मामले में Free Lunch जैसा कुछ भी नहीं है.
जानिए किस तरह आपसे वसूला जाता है पैसा
नो कॉस्ट ईएमआई के दौरान आपको कोई ऑफर देने से पहले कंपनियां पहले ही उस सामान पर अच्छा खासा डिस्काउंट ले लेती हैं. वो डिस्काउंट आपको नहीं दिया जाता. मान लीजिए आपने कोई मोबाइल 20000 की कीमत में खरीदा और नो कॉस्ट ईएमआई के आधार पर इतनी ही कीमत की ईएमआई बनवा ली. ऐसे में उस कंपनी ने मैन्यूफ्रेक्चरर से उस फोन को 16 या 15 हजार में खरीदा होगा. इस तरह आपको नो कॉस्ट ईएमआई का ऑप्शन देने से पहले ही कंपनी उस प्रोडक्ट पर अच्छा खासा मुनाफा डिस्काउंट के जरिए वसूल लेती है.
इसके अलावा अगर प्रोडक्ट पर कोई डिस्काउंट है तो नो कॉस्ट ईएमआई में वो आपको नहीं दिया जाता. जैसे किसी सामान की कीमत 15 हजार रुपए है और उसे एकमुश्त राशि देकर खरीदने में आपको 10 प्रतिशत की छूट मिलती है. लेकिन अगर आप उस सामान को नो कॉस्ट ईएमआई के जरिए खरीदते हैं तो आपको किस्त 15 हजार के हिसाब से ही चुकानी होगी. वहीं आपकी ईएमआई के साथ प्रोसेसिंग फीस जुड़कर आती है. EMI की ब्याज भले ही कंपनी खुद चुकाती है, लेकिन ब्याज पर 18% GST और बैंक सर्विस चार्ज आपसे ही वसूले जाते हैं.
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