EPF Benefits Budget 2025: यूनियन बजट की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. प्री-बजट मीटिंग्स चल रही हैं. सेक्टर्स अपनी डिमांड वित्त मंत्री को भेज रहे हैं. 1 फरवरी 2025 को बजट पेश हो सकता है. निर्मला सीतारमण बतौर वित्त मंत्री लगातार 8वीं बार देश का बजट पेश करेंगी. किसे खुश करेंगी? ये तो बजट के दिन ही पता चलेगा. लेकिन, इस बीच नौकरीपेशा के लिए अच्छी खबर आती दिख रही है. सूत्रों की मानें तो वित्त मंत्री इस बार बजट में एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) से जुड़ा ऐलान कर सकती हैं. ये ऐलान नौकरीपेशा के लिए काफी अहम हो सकता है. 

EPF वेज लिमिट में हो सकता है बदलाव

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श्रम मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस बार के बजट में प्रोविडेंट फंड (PF) की सैलरी कैप यानि लिमिट (wage ceiling limit) को बढ़ा सकती है. EPF की इस लिमिट में आखिरी बार साल 2014 में बदलाव हुआ था. उस वक्त लिमिट को 6500 रुपए से बढ़ाकर 15,000 रुपए किया गया था. सूत्रों ने बताया श्रम और रोजगार मंत्रालय की तरफ से इसका मसौदा तैयार कर लिया गया है. पीएफ लिमिट को बढ़ाकर 21000 रुपए करने का प्रस्ताव है. दरअसल, कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) की लिमिट 2017 से ही 21,000 रुपए है. सरकार दोनों सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लिमिट को एक जैसा करना चाहती है. EPFO और ESIC दोनों श्रम और रोजगार मंत्रालय के एडिमिनिस्ट्रेटिव कंट्रोल में हैं.

लिमिट बढ़ने से ज्यादा लोग आएंगे दायरे में

EPF की मौजूदा वेज सिलिंग लिमिट (wage ceiling limit) 15 हजार रुपए है. इसे बढ़ाकर 25 हजार रुपए करने की मांग की जा रही थी. लेकिन, लिमिट को 25,000 रुपए करने से वित्तीय बोझ ज्यादा बढ़ने का अनुमान है. इसलिए इसे 21000 रुपए तक सीमित रखा जा सकता है. 15,000 रुपए से ज्यादा वेतन वाले कर्मचारियों के लिए EPF का विकल्प चुनना स्वैच्छिक है. अगर लिमिट बढ़ती है तो इसमें ज्यादा लोगों को शामिल हो सकेंगे. हालांकि, अगर आगामी बजट में मौजूदा लिमिट बढ़ती है तो इस योजना के तहत आने वाले नए कर्मचारियों को अपने सैलरी स्ट्रक्चर में कुछ बदलाव देखने को मिल सकता है.

EPF लिमिट बढ़ने से क्या होगा फायदा?

EPF के तहत सैलरी लिमिट बढ़ने का सीधा मतलब है कि आपके EPF अकाउंट और पेंशन खाते में ज्यादा रकम आएगी. इसमें आपका योगदान तो बढ़ेगा ही साथ नियोक्ता को भी योगदान बढ़ाना होगा. पीएफ के तहत वेतन सीमा बढ़ने पर लाखों कर्मचारियों को फायदा मिलेगा. क्योंकि, अभी ज्यादातर राज्यों में न्यूनतम मजदूरी 18,000 से 25,000 रुपए के बीच है. इस लिमिट को बढ़ाने से सरकार और प्राइवेट सेक्टर दोनों पर भारी फाइनेंशियल प्रभाव पड़ेगा.

क्या है मौजूदा नियम?

अगर किसी कंपनी के पास 20 या इससे ज्यादा कर्मचारी हैं तो उसे एम्प्लॉइज प्रोविडेंट फंड (EPF) में रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है. फिर बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते समेत 15,000 रुपए महीना कमाने वाले सैलरीड कर्मचारियों को फंड में 12% का योगदान करना होता है. उनकी कंपनी भी इस फंड में बराबर ही योगदान करती है. कर्मचारी का योगदान पूरी तरह से EPF में जाता है. वहीं, नियोक्ता यानी कंपनी या संगठन के 12% योगदान का 3.67% ईपीएफ और 8.33% ईपीएस यानी एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम में जाता है.

कौन मैनेज करता है EPF अकाउंट्स?

प्रोविडेंट फंड को सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) मैनेज करता है. इसमें केंद्र और राज्य सरकार के साथ एम्प्लॉयर और कर्मचारियों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं. यह बोर्ड देश में संगठित क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए प्रोविडेंट फंड, पेंशन स्कीम और हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम को मैनेज करता है. एम्प्लॉइज प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) बोर्ड के साथ मिलकर सभी ऑपरेशंस देखता है. EPFO के देशभर में 120 से ज्यादा ऑफिस हैं. EPFO श्रम और रोजगार मंत्रालय के एडमिनिस्ट्रेटिव कंट्रोल में रहता है.