सरकारी सेवा (Government Service) में अगर कोई कर्मचारी 20 साल या उससे ज्‍यादा की ड्यूटी करने के दौरान रिजाइन कर देता है तो उसे रिटायरमेंट का लाभ नहीं मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले की सुनवाई के बाद कहा कि वालेंट्री रिटायरमेंट (VRS) और रिजाइन करने में फर्क है. यानि अगर कोई कर्मचारी बीच में रिजाइन करता है, भले ही उसने जरूरी 20 साल की सर्विस पूरी ही क्‍यों न कर ली हो, तो उसे पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा.

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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और हृषिकेश रॉय की बेंच ने सेंट्रल सिविल सर्विसेज पेंशन रूल्‍स का हवाला देते हुए कहा कि रिजाइन करने के मामले में आपकी पूरी सर्विस जब्‍त हो जाती है और इससे कर्मचारी पेंशन का हकदार नहीं रह जाता.

टाइम्‍स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि पेंशन रूल्‍स उन सरकारी नौकर पर लागू हैं, जो 31 दिसंबर 2003 के पहले अप्‍वाइंट हुए हैं. कोर्ट ने यह आदेश BSES यमुना पावर लिमिटेड की अपील पर दिया.

BSES ने दिल्‍ली हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने कर्मचारी को 20 साल की सर्विस के बाद रिजाइन करने पर पेंशन पाने का हकदार माना था. हाईकोर्ट का कहना था कि 20 साल की सर्विस पूरी करने के बाद कर्मचारी को वालेंट्री रिटायरमेंट योजना का लाभ मिलना चाहिए. इसलिए उस कर्मचारी को पेंशन मिलेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर कहा कि दोनों अलग-अलग मुद्दे हैं. रिजाइन करने को VRS से जोड़कर नहीं देखा जा सकता. रिजाइन करने के बाद कर्मचारी का अपनी नौकरी पर कोई अधिकार नहीं रह जाता.