Employment in India: आर्थिक थिंक-टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने जून 2022 में रोजगार दर (Employment rate) में भारी गिरावट के बाद चालू महीने में इसमें सुधार का (Employment rate rising) अनुमान जताया है. सीएमआईई के मुताबिक 12 जुलाई के बाद पिछले तीन दिनों में बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट का रुख देखा जा रहा है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, बीते 12 जुलाई को बेरोजगारी दर 7.33 प्रतिशत, 13 जुलाई को 7.46 प्रतिशत और 14 जुलाई को 7.29 प्रतिशत आंकी गई. इससे पहले जून 2022 में पूरे देश के लेवल पर बेरोजगारी दर 7.80 प्रतिशत थी. बेरोजगारी का यह आंकड़ा शहरी क्षेत्र में 7.30 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में 8.03 प्रतिशत रहा.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मई में देश में बेरोजगारी दर

खबर के मुताबिक, इस आंकड़े पर प्रतिक्रिया देते हुए अर्थशास्त्री अभिरूप सरकार ने कहा कि यह मौसमी बदलाव या एजेंसी द्वारा सैम्पल कलेक्शन में खामियों का नतीजा भी हो सकता है. सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक, मई के महीने में अखिल भारतीय बेरोजगारी दर 7.12 प्रतिशत रही थी. सीएमआईई ने कहा कि भारत के जून 2022 के श्रम आंकड़े बेहद निराशाजनक रहे हैं. रोजगार (Employment in India) मई 2022 में 40.4 करोड़ से घटकर जून 2022 में 39.0 करोड़ रह गया था. एजेंसी ने कहा कि इससे पता चलता है कि जून में श्रम बाजार सिकुड़ गया था.

श्रम भागीदारी दर जून में अपने निम्नतम स्तर पर

एजेंसी ने कहा कि श्रम भागीदारी दर जून में अपने निम्नतम स्तर 38.8 प्रतिशत पर पहुंच गई जो उससे पहले के दो महीनों में 40 प्रतिशत पर रही थी. सीएमआईई के मुताबिक, जून 2022 में वेतनभोगी नौकरियों की संख्या में करीब 25 लाख की गिरावट दर्ज की गई. इस तरह वेतनभोगी तबके के लिए हालात गड़बड़ होते हुए नजर आ रहे हैं. उसके लिए राहत तभी हो सकती है जब अर्थव्यवस्था ज्यादा तेज गति से बढ़े ताकि ज्यादा रोजगार (Employment in India) अवसर पैदा हो सकें. अगर राज्यवार बेरोजगारी आंकड़ों पर गौर करें तो हरियाणा 30.6 प्रतिशत बेरोजगारी के साथ सबसे आगे रहा जबकि पश्चिम बंगाल 5.2 प्रतिशत के साथ सबसे कम बेरोजगारी वाला राज्य रहा.

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें 

शहरी बेरोजगारों के लिए रोजगार गारंटी योजना लाने का सुझाव

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने मई में सरकार को शहरी बेरोजगारों के लिए रोजगार गारंटी योजना लाने का सुझाव दिया.परिषद ने देश में आय में असमानता को कम करने के लिए एक समान (यूनिवर्सल) बुनियादी आय योजना पेश करने के साथ सामाजिक क्षेत्र के लिए ज्यादा धन आवंटित करना की भी सिफारिश की. रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में श्रमबल की भागीदारी दर के बीच के अंतर को देखते हुए ‘मनरेगा’ जैसी योजनाओं को शहरों में पेश किया जाना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को फिर से काम दिया जा सके.