7वें वेतन आयोग के तहत सैलरी बढ़ाने के लिए लगातार सरकार से बातचीत कर रहे कर्मचारियों के लिए एक चौंकाने वाली खबर हैं. केंद्र की मोदी सरकार अब वेतन आयोग को खत्म करने की तैयारी कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, सातवें वेतन आयोग के बाद अगला वेतन आयोग नहीं आएगा. सरकार इस दिशा में काम कर रही है कि 68 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 52 लाख पेंशन धारकों के लिए एक ऐसी व्यवस्था बनाई जाए, जिसमें उनकी सैलरी को रिवाइज करने की जरूरत न पड़े. इसके लिए सरकार दो नए फॉर्मूले पर विचार कर रही है.

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दो फॉर्मूलों पर हो रहा विचार

केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी और दूसरे भत्तों को तय करने के लिए वेतन आयोग शायद दोबारा सिफारिशें नहीं दे पाएगा. अभी तक 10 साल में एक बार वेतन आयोग कर्मचारियों की सैलरी और भत्तों को लेकर सिफारिशें रखता रहा है. लेकिन, अब सरकार वेतन आयोग की सिफारिशों के बजाए सैलरी रिवीजन के लिए दो नए फॉर्मूलों पर विचार कर रही है. पहला है 'ऑटोमैटिक पे रिवीजन' सिस्टम और दूसरा एक्रॉयड (Aykroyd) फॉर्मूला. 

क्या हैं दोनों फॉर्मूलों में अंतर

सूत्रों के मुताबिक, ऑटोमैटिक पे रिवीजन सिस्टम के तहत एक ऐसी व्यवस्था तैयार की जाएगी, जिसमें 50 फीसदी से ज्यादा डीए होने पर सैलरी खुद रिवाइज हो जाए. वहीं, एक्रॉयड (Aykroyd)फॉर्मूले में केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी महंगाई की स्थिति और उनके परफॉर्मेंस से जोड़ दी जाएगी. एक्रॉयड (Aykroyd) फॉर्मूला न्यूट्रिशन, फूड एंड एग्रीकल्चर (FAO) के पहले डायरेक्टर और न्यूट्रिशनिस्ट वैलेस रुडेल एक्रॉयड की सिफारिशों पर आधारित है.

किस आधार पर तय किया गया एक्रॉयड फॉर्मूला

एक्रॉयड ने अपनी सिफारिशें भारतीयों के खाने और कपड़ों की जरूरत के आधार पर तैयार की हैं. उन्होंने इस बात पर विचार किया कि कमोडिटी की बदलती कीमतें किस तरह से आम आदमी को प्रभावित करती हैं. सरकार का मानना है कि वैलेस का यह फॉर्मूल पे-स्केल को तय करने में भी मदद करेगा.

क्या थीं 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें

7वें वेतन आयोग की सिफारिशें 28 जून 2016 को मंजूर कर दी गई थीं. इसके तहत केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी को 7000 रुपए से बढ़ाकर 18000 रुपए किया गया था. अपनी सिफारिशों में 7वें वेतन आयोग ने ये भी कहा था कि सरकार को सिर्फ 10 साल में एक बार नहीं बल्कि समय-समय कर्मचारियों की सैलरी रिवाइज करना चाहिए.

महंगाई इंडेक्स से जुड़ेगी सैलरी

नए वेतन आयोग के पे-बैंड और ग्रेड के मुताबिक भुगतान कर दिया गया है और एक नया पे-मैट्रिक्स डिजाइन किया गया है. अगर केंद्र सरकार सभी सिफारिशों को मान लेती है तो केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन को महंगाई इंडेक्स में जोड़ दिया जाएगा. अगर ऐसा सच में होता है तो कर्मचारियों की सैलरी रिवीजन सिस्टम काफी मुश्किल हो जाएगा.