सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने का इंतजार कर रहे वहीं, दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के राज्य कर्मचारियों को झटका लगा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी रिटायरमेंट उम्र को 60 साल से घटाकर 58 कर दिया है. कोर्ट ने 2001 में जारी अधिसूचना को रद्द कर दिया है. अब उत्तर प्रदेश के राज्य कर्मचारियों की रिटायरमेंट ऐज फिर से 58 साल कर दी गई है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने के लिए 2001 में जारी अधिसूचना रद्द की जाती है.

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मिल रहा है 7वें वेतन आयोग का फायदा

कोर्ट ने कहा कि 28 नवंबर 2001 को राज्यपाल की अधिसूचना के तहत सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ाई नहीं जा सकती है. आपको बता दें, यूपी में ज्यादातर कर्मचारी 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत वेतनमान पा रहे हैं. हालांकि, कोर्ट के आदेश पर अभी कर्मचारी यूनियन के नेताओं का बयान नहीं आया है. उनका कहना है कि वह कोर्ट के फैसले का अध्ययन करने के बाद ही कोई टिप्पणी करेंगे.

राज्यपाल नहीं बदल सकते रिटायरमेंट उम्र

हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक, मौलिक नियम 56 विधायिका का नियम है, इसे सिर्फ विधानसभा में प्रस्ताव लाकर ही बदला जा सकता है. संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत नियम बनाने की राज्यपाल की शक्ति के तहत अधिसूचना जारी कर नियम 56 में संशोधन कर सरकारी कर्मचारी की रिटायरमेंट उम्र 58 से 60 साल नहीं की जा सकती. इससे साफ है कानून नियम 56 को नहीं बदला गया. 

केंद्रीय मंत्री ने की थी रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने की सिफारिश

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस इफकत अली खान की पीठ ने भदोही विकास प्राधिकरण के सहायक आर्किटेक्ट ओपी तिवारी की याचिका को खारिज कर दिया. हालांकि मई 2018 में केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने यूपी सरकार से सिफारिश की थी कि वह अपने लाखों कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र 60 से बढ़ाकर 62 साल कर दें. गंगवार ने इस बारे में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा था. इस पत्र में केंद्रीय मंत्री ने मध्यप्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा था कि मध्य प्रदेश सरकार ने रिटायरमेंट की उम्र 62 साल कर दी है.