दुनिया की सबसे बड़ी कंटेनर शिपिंग कंपनी MAERSK LINE ने गंगा को जलमार्ग के तौर पर प्रयोग करना शुरू कर दिया है. MAERSK कंपनी ने 16 कंटेनरों से लदा एक जहाज वाराणसी से कोलकाता के लिए 12 फरवरी को रवाना किया. इसे देश में नदियों को जलमार्ग के तौर पर प्रयोग करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.

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 वाराणसी से कोलकाता के लिए 12 फरवरी को रवाना हुए शिपिंग कारगो को कोलकता से बांगलादेश या बंगाल की खाड़ी से होते हुए दुनिया के किसी भी देश के लिए रवाना किया जा सकता है. जलमार्ग के जरिए कंटेनरों के परिवहन से जहां सड़कों पर ट्रकों का जाम कम होगा वहीं काफी मात्रा में इंधन भी बचाया जा सकेगा.

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2018 में जल परिवहन की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए वाराणसी में पहले इनलैंड मल्टी मॉडल टर्मिनल का उद्घाटन किया था. MAERSK के पहले कई बड़ी कंपनियां जैसे पेप्सीको, इमामी, एग्रोटेक, इफको फर्टलाइजर , डाबर सहित कई बड़ी कंपनियां अपने उत्पादों से लदे कंटेनरों को गंगा नदी में जलमार्ग के जरिए एक जगह से दूसरी जगह भेज चुकी हैं.

भारत सरकार ने जल मार्ग विकास प्रोजेक्ट के तहत वाराणसी से हल्दिया तक नेशनल वॉटरवे 1 का विकास किया है. इस जल मार्ग के जरिए कई बड़े जहाज जिन पर 1500 से ले कर 2000 टन तक का वजन लदा होता है एक से दूसरी जगह तक भेजे जा रहे हैं.

देश में जलमार्ग विकसित करने के लिए तकनीकी और वित्तीय मदद विश्व बैंक की ओर से उपलब्ध कराई जा रही है. नेशनल वॉटरवे 1 को पूरा करने में लगभग 5369 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.