Two-day nationwide strike: कर्मचारियों, किसानों और आम लोगों पर प्रतिकूल असर डालने वाली सरकार की कथित गलत नीतियों के विरोध में श्रमिक संगठनों की दो दिन की देशव्यापी हड़ताल का आज पहला दिन था. सोमवार (28 मार्च, 2022) को इस हड़ताल का बैंकिंग कामकाज, ट्रांसपोर्ट और माइनिंग और प्रोडक्शन पर असर देखा गया. देश के प्रमुख श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चा की तरफ से हड़ताल का आह्वान किया गया है.

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इस स्ट्राइक के पहले दिन पश्चिम बंगाल और केरल में इसका खास असर देखा गया. हालांकि, जरूरी सेवाएं काफी हद तक अप्रभावित रहीं लेकिन बैंकिंग कामकाज पर कई हिस्सों में असर पड़ा और माइनिंग गतिविधियां भी प्रभावित हुईं.

कई राज्यों में मिला समर्थन

बिजली और फ्यूल सप्लाई पर हड़ताल का कोई खास असर नहीं देखा गया. लेकिन श्रमिक संगठनों ने दावा किया कि झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के कोयल खनन वाले इलाकों में कामगार इसका हिस्सा बने हैं. अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की महासचिव अमरजीत कौर ने पीटीआई-भाषा से कहा कि हड़ताल को असम, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार, पंजाब, राजस्थान, गोवा और ओडिशा के औद्योगिक क्षेत्रों से बढ़िया समर्थन मिला है.

एटक के अलावा श्रमिक संगठन सीटू और इंटक समेत कुल 10 संगठन हाल में किए गए श्रम सुधारों और निजीकरण की कोशिशों का विरोध कर रहे हैं. इसके अलावा मनरेगा के लिए बजट आवंटन बढ़ाने और संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों को नियमित करने की भी मांग है.

पश्चिम बंगाल में हड़ताल में शामिल लोगों ने जगह-जगह प्रदर्शन करने के अलावा वाहनों और ट्रेनों की आवाजाही को भी बाधित करने की कोशिश की. केरल में भी परिवहन निगम की बसों के अलावा ऑटोरिक्शा एवं निजी बसें नहीं चलीं. लेकिन यहां जरूरी सामानों की सप्लाई, अस्पताल और एम्बुलेंस सर्विसेज इससे अछूती रहीं.

सार्वजनिक उपक्रमों सेल, आरआईएनएल और एनएमडीसी के भी हजारों कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हुए, जिससे उनके कामकाज पर बुरा असर देखा गया.

बैंकों के कामकाज पर भी असर

इस हड़ताल ने बैंकों के कामकाज पर भी असर डाला. हालांकि, यह असर आंशिक रूप से ही देखा गया क्योंकि तमाम कर्मचारी काम पर नहीं पहुंचे. बैंक कर्मचारी संगठनों का एक हिस्सा ही इस हड़ताल का समर्थन कर रहा है. निजी क्षेत्र के बैंकों का कामकाज इससे लगभग बेअसर रहा. अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा कि इस हड़ताल का असर पूर्वी भारत में ज्यादा देखा गया और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तमाम शाखाएं बंद रहीं. दूसरे क्षेत्रों में भी बैंक शाखाओं में कर्मचारियों के अनुपस्थित होने से कामकाज पर असर पड़ा.

भारतीय बैंक कर्मचारी महासंघ (बीईएफआई) और अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ (एआईबीओआई) भी इस हड़ताल को अपना समर्थन दे रहे हैं.

बैंक संगठन दो सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण की सरकारी योजना का विरोध कर रहे हैं. इसके अलावा वे जमा पर ब्याज दर बढ़ाने और सेवा शुल्कों में कटौती की भी मांग कर रहे हैं.

कोयला क्षेत्र में कर्मचारी भी हुए शामिल

कोयला क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों का एक बड़ा तबका भी इस हड़ताल में शामिल है. इससे कोयला खदानों में कोयला उत्पादन और आपूर्ति पर असर पड़ने की आशंका है. हिंद खदान मजदूर महासंघ ने कहा कि कोयला क्षेत्र, खासकर कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के वजूद को खत्म करने वाली सरकार की नीतियों के विरोध में कर्मचारी खुलकर खड़े हुए हैं.

महासंघ के अध्यक्ष नाथूलाल पांडेय ने कहा, कि कोयला क्षेत्र के कर्मचारी देशभर में इस हड़ताल का हिस्सा बने हैं. उन्होंने कहा कि वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड, ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड, भारत कोकिंग लिमिटेड और महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड के तमाम कर्मचारी संगठन इस हड़ताल में खुलकर भाग ले रहे हैं.