सरकारी बैंकों के 10 लाख बैंक कर्मचारी आज तीन बैंकों के विलय के विरोध में हड़ताल पर हैं. इसके चलते ज्यादातर बैंकिंग कारोबार आज ठप पड़ा है, लेकिन आज की हड़ताल को सिर्फ एक ट्रेलर माना जा रहा है क्योंकि नए साल में 8 और 9 जनवरी को देश की 10 प्रमुख ट्रेड यूनियन महा हड़ताल की तैयारी कर रही हैं. उनकी योजना इस हड़ताल में सरकारी और निजी क्षेत्र के सभी कर्मचारियों के साथ ही किसानों और मजदूरों को भी शामिल करने ही है. हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय मजूदर संघ ने इस हड़ताल में शामिल नहीं होने का फैसला किया है.

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ग्रामीण भारत बंद की तैयारी

श्रमिक संगठनों के साथ ही इन दिन वामपंथी संगठनों से जुड़े किसान संगठन भी हड़ताल करेंगे. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक आल इंडिया किसान सभा (AIKS) ने 8-9 जनवरी को ग्रामीण भारत बंद का आह्वान किया है. इनकी कोशिश है कि शहरी भारत के साथ ही इस दिन ग्रामीण भारत में भी किसान और खेतिहर मजदूर हड़ताल पर रहें. इन आह्वान को भूमि अधिकार सभा का समर्थन हासिल है. ये संगठन कृषि ऋण माफ करने, भूमिहीन किसानों को जमीन और फसलों का सही दाम की मांग कर रहे हैं.

कौन शामिल होगा हड़ताल में?

नए साल में मजदूर संगठन इंटक, एआईटीयूसी, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी, एआईआरएफ और एनएफआईआर 8 और 9 जनवरी को पूरा भारत बंद करने की तैयार कर रहे हैं. इन मजदूर संगठनों का आरोप है कि केंद्र सराकर की नीतियां कॉरपोरेट के पक्ष में हैं और मजदूर विरोधी हैं. इस दिन पूरे देश में सभा, रैली और विरोध-प्रदर्शन की तैयारी की जा रही है. इस दिन बैंक कर्मचारी तो हड़ताल पर रहेंगे, साथ ही रेलवे, रक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा सहित केंद्र और राज्य सरकारों के हड़ताल पर रहने का दावा किया जा रहा है. इसके अलावा इन संगठनों की कोशिश है कि निजी क्षेत्र के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हों. 

बीएमएस क्यों नहीं होगी शामिल?

सरकार के लिए राहत की बात ये है कि देश का सबसे बड़ा मजदूर संघटन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) इस हड़ताल से दूर है. बीएमएस आरएसएस का सहयोगी संगठन है. बीएमएस का कहना है कि वो खुद केद्र सरकार के सामने मजदूरों की समस्याओं को उठा रही है और सरकार से उसे सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है. इसलिए अभी हड़ताल करना उचित नहीं. बीएमएस के पश्चिमी क्षेत्र के प्रभारी सुधारक राव ने हाल में एक कार्यक्रम में कहा कि पिछले ढेड़ वर्षों में कई मांगों को पूरा किया गया है, जैसे- बोनस एक्ट में संशोधन, 1000 रुपये की ईपीएफ पेंशन, न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी, आंगनवाड़ी के वेतन में बढ़ोतरी, आयुष्मान भारत योजना और ईएसआई एक्ट 1948. 

हड़ताल कर रहे संगठनों की क्या है मांग?

न्यूनतम मजदूरी, श्रमिकों के लिए यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी, निजीकरण को बंद किया जाए, सरकारी कंपनियों में ठेका प्रथा को बंद किया जाए, श्रम कानूनों में प्रस्तावित संशोधन न हो, सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन की बहाली.