नई दिल्ली : बाजार नियामक सेबी ने क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल मुद्रा निर्गम तंत्र को समझने के लिए अपने अधिकारियों को पिछले वित्त वर्ष के दौरान विदेश भेजा. क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल मुद्राएं होती हैं, जिनमें कारोबार के लिए इन्क्रिप्शन तकनीकी का प्रयोग किया जाता है. दुनिया का कोई केंद्रीय बैंक अभी इन 'मुद्राओं' का परिचालन नहीं करता है. इन मुद्राओं का चलन शेयरों के प्रारंभिक निर्गम की तरह का है.

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सेबी ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2017-18 में कहा, 'क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल क्वॉइन (मुद्रा) की आरंभिक पेशकश के तंत्र के अध्ययन के लिए नियामक ने जापान की वित्तीय सेवा एजेंसी; ब्रिटेन की वित्तीय प्रबंध प्राधिकरण और स्विस वित्तीय बाजार प्रबंध-संबंधी प्राधिकरण की अध्ययन यात्राएं आयोजित कीं.' सरकार पहले ही आभासी मुद्राओं के संबंध में मौजूदा तंत्र की जांच के लिए आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है. इसमें सेबी चेयरमैन अजय त्यागी और रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर बीपी कानूनगो शामिल है. अभी इसकी रपट नहीं मिली है.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जुलाई में उच्चतम न्यायालय को बताया था कि बिटक्वॉइन जैसी क्रिप्टकरेंसी में कारोबार को मंजूरी देना अवैध लेनदेन को बढ़ावा देगा. आरबीआई पहले ही आभासी मुद्राओं के उपयोग को रोकने के लिये सर्कुलर जारी कर चुका है.

इनपुट भाषा से