Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) चुनावी बॉन्ड स्कीम (Electoral Bonds Scheme) में संशोधन के संबंध में दायर एक नई याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया. सरकार ने इसमें विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान 15 अतिरिक्त दिनों के लिए चुनावी बॉन्ड की बिक्री की अनुमति दी गई थी. वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप जॉर्ज चौधरी ने शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका का उल्लेख करते हुए कहा कि अधिसूचना पूरी तरह से अवैध है.

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न्यूज एजेंसी एनएआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि वह मामले को सुनवाई के लिए लिस्ट करेगी. कांग्रेस नेता जया ठाकुर द्वारा दायर याचिका में Electoral Bond Scheme को चुनौती दी गई है, जो राजनीतिक दलों के गुमनाम फंडिंग की अनुमति देती है.

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कौन खरीद सकता है Electoral Bonds

चुनावी बॉन्ड एक व्यक्ति द्वारा खरीदा जा सकता है, जो भारत का नागरिक है या भारत में निगमित या स्थापित कंपनी है. एक व्यक्ति एक इंडिविजुअल होने के नाते अकेले या अन्य इंडिविजुअल के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है. बॉन्ड विशेष रूप से राजनीतिक दलों को फंड के योगदान के उद्देश्य से जारी किए जाते हैं.

वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने  राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभा के आम चुनावों के वर्ष में बॉन्ड की बिक्री के लिए 15 दिनों की अतिरिक्त समय प्रदान करने के लिए योजना में संशोधन के लिए एक अधिसूचना जारी की. मूल योजना में प्रावधान था कि लोकसभा चुनाव वाले वर्ष में बॉन्ड बिक्री के लिए 30 अतिरिक्त दिन प्रदान किए जाएंगे, जबकि नए संशोधन में 15 दिन और जोड़ दिए गए हैं.

सरकार ने 2018 में Electoral Bond Scheme को अधिसूचित किया. प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बॉन्ड एक व्यक्ति द्वारा खरीदा जा सकता है, जो भारत का नागरिक है या भारत में निगमित या स्थापित है.

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