आज 17 अगस्त को सेना की सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 17ए फ्रिगेट्स का छठा जहाज 'विंध्यगिरी' लॉन्च करेंगी. इस प्रोजेक्ट के जहाजों को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो ने इन-हाउस डिजाइन किया है. इसका नाम कर्नाटक की पर्वत श्रृंखला के नाम पर रखा गया है, जिसे गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड, कोलकाता में निर्मित किया गया है. इस पर ब्रह्मोस मिसाइल की भी तैनाती हो सकती है.

 'विंध्यगिरी' प्रोजेक्ट 17ए फ्रिगेट्स का छठा जहाज

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रक्षा मंत्रालय के मुताबिक 'विंध्यगिरी' प्रोजेक्ट 17ए फ्रिगेट्स का छठा जहाज है. इस युद्धपोत में बेहतर स्टील्थ फीचर्स, उन्नत हथियार और सेंसर और प्लेटफॉर्म प्रबंधन सिस्टम हैं. तकनीकी रूप से उन्नत यह फ्रिगेट अपने पूर्ववर्ती लिएंडर क्लास एएसडब्ल्यू फ्रिगेट आईएनएस विंध्यगिरी को विशिष्ट सेवा के लिए एक तरह से श्रद्धांजलि है. आईएनएस विंध्यगिरी ने 08 जुलाई 1981 को नौसेना में शामिल होकर 11 जून 2012 तक विभिन्न चुनौतीपूर्ण अभियानों और बहुराष्ट्रीय अभ्यासों के दौरान लगभग 31 वर्षों तक सेवा दी थी. नवनिर्मित 'विंध्यगिरी' स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के साथ आगे बढ़ते हुए अपनी समृद्ध नौसैनिक विरासत को संभालने के लिए तैयार है.

पर्वत श्रृंखलाओं के नाम पर सभी जहाजों के नाम

प्रोजेक्ट 17 ए कार्यक्रम के तहत मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) को चार और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) को तीन जहाजों का निर्माण सौंपा गया था. इस परियोजना के पहले पांच जहाज तारागिरी, उदयगिरि, दूनागिरी, नीलगिरि, हिमगिरी लॉन्च किए जा चुके हैं. भारत में पर्वत श्रृंखलाओं के नाम पर इन सभी जहाजों के नाम रखे गए हैं. इस परियोजना को स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट की एक शृंखला का निर्माण करने के लिए लॉन्च किया गया था. प्रोजेक्ट 17ए का कुल मूल्य लगभग 25,700 करोड़ रुपये है.

आत्मनिर्भर नौसैनिक बल के निर्माण का प्रमाण

प्रोजेक्ट 17ए जहाजों को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो ने इन-हाउस डिजाइन किया है, जो सभी युद्धपोत डिजाइन गतिविधियों के लिए अग्रणी संगठन है. ‘आत्मनिर्भरता’ के प्रति देश की दृढ़ प्रतिबद्धता के अनुरूप प्रोजेक्ट 17ए जहाजों के उपकरणों और प्रणालियों के लिए 75% ऑर्डर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) सहित स्वदेशी फर्मों से मिले हैं. विंध्यगिरी की लांचिंग आत्मनिर्भर नौसैनिक बल के निर्माण में की गई अविश्वसनीय प्रगति का एक उपयुक्त प्रमाण है.

रिपोर्ट- PBNS

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