PLI scheme for nutraceuticals: दुनिया की फार्मेसी बन चुका भारत अब जल्द ही दुनिया की न्यूट्रास्यूटिकल्स की राजधानी भी बनने को तैयार है. मुंबई के ताज होटल में सी-स्वीट सम्मिट में भारत में न्यूट्रास्यूटिकल्स के क्षेत्र में बन रही संभावनाओं पर दुनिया के 20 से ज्यादा देशों से 150 से ज्यादा दिग्गजों ने मंथन किया. सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ अजय सूद ने दुनिया को भारत में निवेश का न्यौता दिया. 

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उन्होंने दुनिया के देशों को आश्वस्त किया कि भारत सरकार न्यूट्रास्यूटिकल्स के क्षेत्र में दुनिया की तमाम कंपनियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तैयार है. दरअसल डॉ अजय सूद भारत सरकार की ओर से गठित न्यूट्रा टास्क फोर्स के चेयरमैन भी हैं. उन्होंने सरकार की ओर से न्यूट्रा क्षेत्र को 2030 तक 100 बिलियन डॉलर इंडस्ट्री तक पहुंचाने की रोडमैप भी साझा किया.

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जल्द आएगी न्यूट्रा के लिए पीएलआई स्कीम

न्यूट्रा के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर बनने के लिए सरकार की ओर से 5 विशेष क्षत्रों में तेजी से काम हो रहा है. इसके लिए सरकार ने एचएसएन कोड्स बनाने, न्यूट्रास्यूटिकल्स के लिए पीएलआई स्कीम लागू करने, सरकार की तरफ से न्यूट्रास्यूटिकल इंडस्ट्री पैनल बनाने और भारतीय आर्युवेदिक उत्पादों के अंतरराष्ट्रीयकरण की दिशा में काफी काम कर लिया है. इसके साथ ही सरकार जल्द ही बायोडायवर्सिटी एक्ट में बदलाव की भी तैयारी कर रही है. सरकार की मंशा बायोडायवर्सिटी एक्ट में बदलाव करके वन्य औषधीय वनस्पति की खेती और भारतीय चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देना है.

आर्युवेद का विश्वगुरू है भारत

भारत दरअसल 52 एग्रोक्लाइमेट जोन्स की धरती है. इसका मतलब ये है कि भारत दुनिया की तमाम कंपनियों के लिए मेडिसिनल प्लांट्स की खेती के लिए मुफीद जगह है. हाल ही में कर्क्यूमिन और अश्वगंधा जैसी औषधीय गुणों वाले उत्पादों ने दुनियाभर का ध्यान खींचा है. लेकिन शायद दुनिया इस बारे में कम ही जानती है कि भारत 1700 से ज्यादा औषधीय पौधों का घर है जो मॉर्डन साइंस क्लीनिकल वैलिडेशन का इंतजार कर रहे हैं.

इंडस्ट्री के दर्जे को तरस रहा है न्यूट्रास्यूटिकल सेक्टर

भारत में  न्यूट्रास्यूटिकल्स को इंडस्ट्री का दर्जा नहीं मिला हुआ है. वैश्विक रूप से देखें तो दुनिया में न्यूट्रास्यूटिकल इंडस्ट्री 390 से 400 बिलियन डॉलर की है. भारत ग्लोबल मार्केट का महज 2 फीसदी हिस्सेदार है. लेकिन 2030 तक भारत को 100 बिलियन डॉलर का बाजार बनाने के लिए सरकार को न सिर्फ न्यूट्रास्टूटिकल को इंडस्ट्री का दर्जा देना होगा बल्कि वैश्विक निवेश को आकर्षित करने के लिए अतिरिक्त कदम भी उठाने होंगे.

प्रधानमंत्री मोदी तय कर चुके हैं पांच लक्ष्य

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जामनगर में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पारंपरिक औषधि वैश्विक केंद्र की आधारशिला रखते हुए पूरी दुनिया को निरोगी बनाने में भारत की भूमिका बढ़ाने के लिए पांच लक्ष्य तय किए थे. पीएम मोदी ने इस मौके पर अपने संबोधन में इन पांचों लक्ष्यों का जिक्र भी किया था. पीएम मोदी के मुताबिक पहला लक्ष्य- टेक्नोलॉली का उपयोग करते हुए, ट्रेडिशनल विद्याओं के संकलन का है, उनका डेटाबेस बनाने का है. दूसरा लक्ष्य- GCTM को पारंपरिक औषधियों की टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन के लिए इंटरनेशनल स्टैंडर्ड भी बनाने चाहिए. तीसरा लक्ष्य- GCTM एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनना चाहिए जहां विश्व की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के एक्सपर्ट्स एक साथ आएं, एक साथ जुटें, अपने अनुभव साझा करें. चौथा लक्ष्य- रिसर्च में निवेश से जुड़ा हुए है. GCTM को ट्रेडिशिनल मेडिसीन के क्षेत्र में रिसर्च के लिए फंडिंग को मोबिलाइज करना चाहिए. जबकि पांचवां लक्ष्य- ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से जुड़ा हुआ है.

25 मिलियन डॉलर के निवेश का ऐलान

सी स्वीट सम्मिट में प्रधानमंत्री के इन्हीं पांचों लक्ष्यों पर आगे बढ़ते हुए दुनिया के बड़े न्यूट्रा दिग्गजों का जमावड़ा हुआ. मुंबई में आयोजित हुए सी स्वीट सम्मिट में 20 से ज्यादा देशों के 150 से ज्यादा न्यूट्रा दिग्गजों ने भाग लिया. इनमें ऑस्ट्रेलिया के कॉम्पलिमेंट्री मेडिसिन के चेयरमैन से लेकर दक्षिण कोरिया की दिग्गज कंपनी EDGE के चेयरमैन, जापान की दिग्गज फ्यूजी केमिकल्स, अमेरिकी दिग्गज सीफैम इंक और ओम्निएक्टिव के अलावा संयुक्त अरब अमीरात के शाही परिवार की भी भागीदारी रही. कुल मिलाकर सम्मिट में 22 एमओयू के जरिए भारत के लिए 30 मिलियन डॉलर के निवेश का ऐलान हुआ है.

न्यूट्रा लाएगा निवेश भी नौकरी भी

2030 तक भारत को 100 बिलियन डॉलर की इंडस्ट्री बनाने के लिए लाखों पेशेवरों की जरूरत होगी. सम्मिट के आयोजक, न्यूट्रीफाई टुडे के चीफ कैटेलिस्ट और सरकार की न्यूट्रा टास्क फोर्स के सदस्य अमित श्रीवास्तव के मुताबिक इस क्षेत्र में 1 लाख 60 हजार नौकरियों के नए अवसर पैदा होंगे. ये मौके न्यूट्रा से जुड़े क्षेत्र में कोर्स करने वाले छात्रों के साथ साथ न्यूट्रा इंडस्ट्री से जुड़े पेशेवरों के लिए भी होंगे. सी स्वीट सम्मिट में हुए 30 मिलियन डॉलर के निवेश के बाद जानकारों ने इस क्षेत्र में 60,000 नौकरियां पैदा होने का अनुमान जाहिर किया है.

सी स्वीट सम्मिट बनेगा न्यूट्रा का WEF

शुक्रवार को हुए सी सम्मिट में दुनिया के तमाम दिग्गजों के अलावा भारत सरकार की न्यूट्रा टास्क फोर्स, वाणिज्य मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, FSSAI जैसे महत्वपूर्ण स्तंभों की भागीदारी रही. सरकार की ओर से पूरी दुनिया को भारत में निवेश के बेहतर मौके देने का न्यौता दिया गया और दुनिया को भी ये आश्वस्त किया गया कि भारत दुनिया के न्यूट्रा दिग्गजों का स्वागत करने को पूरी तरह से तैयार है. 

न्यूट्रीफाई टुडे की ओर आयोजित इस सम्मेलन को हर साल आयोजित करके इस दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम जैसे स्तर का आयोजित करने का संकल्प लिया गया. कुल मिलाकर न्यूट्रास्यूटिकल के क्षेत्र में हर साल होने वाले सी स्वीट में दुनिया के दिग्गज भारत में न्यूट्रा के क्षेत्र में होने वाली संभावनों की तराशने की कोशिश करेंगे. पीएम मोदी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ सूद ने इंडस्ट्री का दर्जा नहीं मिलने का बावजूद पूरी दुनिया में भारतीय न्यूट्रास्यूटिकल उत्पादों की जबरदस्त मौजूदगी बनाए रखने के लिए भारतीय न्यूट्रास्यूटिकल उद्यमियों का आभार भी जताया.