राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने दिवाला कानून के तहत नीलाम की जा रही कर्जग्रस्त जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनबीसीसी की बोली पर कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) की ओर से कराई जा रही वोटिंग को शुक्रवार को रद्द कर दिया. एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने मतदान प्रक्रिया को निरस्त या स्थगित करने की आईडीबीआई बैंक की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश देते हुए कर्जदाताओं से 31 मई से नए सिरे से मतदान कराने के लिए कहा है. 

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कर्ज के बोझ तले दबी जेपी इंफ्राटेक को सबसे ज्यादा कर्ज देने वाले आईडीबीआई बैंक ने एनबीसीसी की बोली का विरोध करते हुए कहा था कि यह बोली शर्तों के साथ रखी गयी है. बैंक ने कहा कि जेपी इंफ्रा के लिए एनबीसीसी के प्रस्ताव के साथ यह शर्त जुड़ी है कि यमुना एक्सप्रेसवे के कारोबार को एनबीसीसी को हस्तांतरित किए जाने की मंजूरी मिलने पर ही यह प्रस्ताव लागू हो सकेगा.

जेपी इंफ्राटेक को कर्ज देने वाले बैंकों और पैसा जमा कराने वाले घर खरीदारों ने कंपनी के अधिग्रहण और 20 हजार से अधिक फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए सरकारी कंपनी एनबीसीसी की ओर से प्रस्तुत बोली पर बृहस्पतिवार को मतदान शुरू किया था. मतदान प्रक्रिया रविवार को पूरी होनी थी और इसके नतीजे 20 मई को आने थे. पीठ ने कर्जदाताओं की समिति को एनबीसीसी इंडिया के साथ उसके प्रस्ताव पर फिर से बातचीत करने की अनुमति दी है. 

न्यायमूर्ति मुखोपाध्याय ने कहा कि यदि समाधान योजना कानून के मुताबिक है तो सीओसी समाधान योजना को मंजूरी दे सकती है लेकिन सीओसी बोली को तब तक खारिज नहीं कर सकती जब तक कि इसके लिए एनसीएलएटी की अनुमति नहीं ले ली जाए. एनसीएलएटी ने घर खरीदारों के नौ संगठनों को भी इस मामले में अर्जी देने की भी अनुमति दी है. इन संगठनों में करीब 5,000 घर खरीदार शामिल हैं.