MONEY GURU : कैसे करें स्पेशल बच्चों के बेहतर भविष्य की फाइनेंशियल प्लानिंग, जानिए यहां
फाइनेंशियल प्लानिंग या वित्तीय योजना हर किसी के लिए जरूरी है लेकिन जब बात स्पेशल बच्चों की आती है तो यह और भी जरूरी हो जाती है. उनकी जरूरतों का ध्यान रखने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग भी स्पेशल होनी चाहिए.
जब बात स्पेशल बच्चे की आती है तो इसमें दो जनरेशन की प्लानिंग होती है.(Zee Business)
जब बात स्पेशल बच्चे की आती है तो इसमें दो जनरेशन की प्लानिंग होती है.(Zee Business)
फाइनेंशियल प्लानिंग (Financial Planning) या वित्तीय योजना हर किसी के लिए जरूरी है लेकिन जब बात स्पेशल बच्चों की आती है तो यह और भी जरूरी हो जाती है. उनकी जरूरतों का ध्यान रखने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग भी स्पेशल होनी चाहिए. ऐसी प्लानिंग जिससे अभिभावक के जीवनकाल और उसके बाद भी स्पेशल बच्चों की जिंदगी बिना किसी दिक्कत के दौड़ती रहे. आप अपने स्पेशल बच्चे के लिए इस प्रकार अच्छी प्लानिंग कर सकते हैं.
प्लान स्पेशल नीड्स के फाउंडर जितेंद्र सोलंकी ने 'जी बिजनेस' को बताया कि जब बात स्पेशल बच्चे की आती है तो एक यूनिक रिक्वायरमेंट सामने आती है. इसमें दो जनरेशन की प्लानिंग होती है. यानि पहले अभिभावक को अपनी लाइफ की फाइनेंशियल प्लानिंग करनी होती है, साथ ही अपने स्पेशल बच्चे की भी लाइफ लॉन्ग प्लानिंग करनी होती है. वैसे भी फाइनेंशियल प्लानिंग ऑप्शन नहीं बल्कि जरूरत है.
कब शुरू करें प्लानिंग
जितेंद्र सोलंकी के मुताबिक स्पेशल बच्चे के लिए प्लानिंग उसकी शुरुआती उम्र के साथ शुरू हो जानी चाहिए. नियमित आय से ही स्पेशल बच्चे के लिए भी कॉर्पस इकट्ठा करना शुरू कर देना चाहिए. ऐसी प्लानिंग के समय अपनी और स्पेशल बच्चे की जरूरतों का पूरा ध्यान रखें. मसलन समय पर जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा लेना जरूरी है. इसमें कई बार अभिभावक लापरवाही करते हैं.
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हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय सतर्कता
ऐसा देखा गया है कि अभिभावक अपने स्पेशल बच्चे का हेल्थ इंश्योरेंस कराते समय उसकी डिसेबिलिटी को जाहिर नहीं करते, यह बड़ी चूक है. जितेंद्र सोलंकी के मुताबिक इससे बच्चे को हेल्थ इंश्योरेंस का लाभ नहीं मिलेगा.
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
स्पेशल बच्चे की फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए अभिभावक को पहले उसकी लाइफ स्टेज समझनी होती है. जब अभिभावक बच्चे की लाइफ स्टेज समझेंगे तभी उन्हें यह फैसला लेने में आसानी होगी कि किस लाइफ स्टेज पर क्या एक्शन लेना है. लाइफ स्टेज का मतलब है अगर बच्चा माइनर है तो बच्चे की थेरेपी कैसे होगी, उसका डेवलपमेंट कैसे होगा. जब एडल्ट स्टेज में जाएगा तो उसकी रहने की जरूरत कैसे पूरी होगी. फिर पोस्ट रिटायरमेंट लाइफ स्टेज में जाएगा तब खर्चे कैसे पूरे होंगे.
#LIVE | करिए स्पेशल बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग #MoneyGuru में @pallavi_nagpal के साथ। https://t.co/pw9zegOXoF
— Zee Business (@ZeeBusiness) 17 May 2019
दो बजट बना कर चलें
जितेंद्र सोलंकी ने बताया कि अभिभावक को दो बजट बनाकर चलना चाहिए. पहला फैमिली और दूसरा स्पेशल चाइल्ड के लिए. इससे परिवार के भी खर्च पूरे होंगे और स्पेशल चाइल्ड के मेडिकल व अन्य खर्चे.
08:31 PM IST