भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर अग्रसर है. देश के 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को लेकर बेहतर आय वितरण के लिए पहले से अधिक औपचारिक और क्वालिटी नौकरियों की जरूरत होगी. हाल ही में आई एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. डेलॉइट की एक रिपोर्ट के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के विस्तार पर सरकार का ध्यान दिया जाना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस सेक्टर में श्रमिकों के आने से औपचारिक रोजगार मिलने की संभावना बढ़ जाती है.

इस सेक्टर में ज्यादा नौकरियों की जरूरत

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मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की 51.4 प्रतिशत नौकरियां वेतनभोगियों से जुड़ी हैं. इस बदलाव से नियमित वेतन और सामाजिक सुरक्षा के अभाव में जीने वाले लोगों की आय स्थिरता में वृद्धि होगी. इसके अलावा, सर्विस सेक्टर के विकास से नौकरियों के औपचारीकरण में सहायता मिलेगी, इससे श्रमिकों को औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने और कौशल को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.

उभरती इंडस्ट्री पर फोकस

सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उभरती इंडस्ट्री में वृद्धि से ऐसे अवसर पैदा होंगे, जिनके लिए उन्नत शिक्षा और विशेष कौशल की आवश्यकता होगी, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियां पैदा होंगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा, स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों की ओर भारत का कदम ऊर्जा, कृषि, पर्यटन और परिवहन सहित विभिन्न क्षेत्रों में हरित रोजगार पैदा करेगा. 

युवा आबादी बड़ी ताकत

भारत की सबसे बड़ी ताकत इसकी युवा, महत्वाकांक्षी आबादी है. शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि उम्र बढ़ने के साथ सीखने की क्षमता कम होती जाती है. इससे पता चलता है कि युवा लोगों में जल्दी नए कौशल सीखने की संभावना अधिक होती है,. एक अध्ययन में पाया गया कि युवा मन और मस्तिष्क स्वाभाविक रूप से अधिक लचीले और खोजी होते हैं. यह भारत को कौशल विकास में निवेश से पर्याप्त लाभ प्राप्त करने की स्थिति में रखता है.

युवाओं की क्षमता को पहचानते हुए, सरकार ने हाल ही में इंटर्नशिप कार्यक्रम चलाने और उच्च शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण उपलब्ध कराने की पहल की घोषणा की है. रिपोर्ट के अनुसार, "ये भारतीय युवाओं की रोजगार क्षमता और कौशल को बेहतर बनाने में एक लंबा रास्ता तय करेंगे. कई राज्य भी बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनने का प्रयास कर रहे हैं. वे औपचारिक रोजगार सृजन और कौशल विकास में सक्रिय रूप से निवेश कर रहे हैं.