Insurance claims: सड़क हादसे में साइरस मिस्त्री की मौत के बाद इंश्योरेंस कवरेज को लेकर एकबार फिर से चर्चा होने लगी है. चर्चा इस बात की हो रही है कि अगर अपनी लापरवाही के कारण हादसा होता है और उसमें जान चली जाती है तो क्या ऐसे मामलों में इंश्योरेंस मिलने में कोई परेशानी तो नहीं होगी. इन तमाम चर्चाओं के बीच इंश्योरेंस सेक्टर की कंपनियों का कहना है कि जोखिम से बचाव के लिए ही इंश्योरेंस खरीदा जाता है. गलती चाहे मानवीय हो या कुछ और हो, क्लेम मिलने में परेशानी नहीं होगी.

ज्यादातर हादसे मानवीय लापरवाही से ही होते हैं

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इंश्योरेंस सेक्टर का कहना है कि मानवीय त्रुटि या नियमों के उल्लंघन की स्थिति में भी बीमा पॉलिसी का पूरा लाभ मिलता रहेगा और दुर्घटना में मृत्यु के दावों को स्वीकार किया जाता रहेगा. हालांकि, असाधारण मामलों में मुआवजे की राशि कम की जा सकती है. आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी में प्रमुख (जोखिम निर्धारण एवं दावा) संजय दत्ता ने कहा, ‘‘ज्यादातर हादसे मानवीय लापरवाही से होते हैं. पॉलिसी खरीद लेने पर लापरवाही से होने वाले हादसे भी इसके दायरे में आते हैं.’’

वाहन में सवाल लोग भी पॉलिसी के दायरे में

बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक तपन सिंघला ने कहा, ‘‘बीमा लेने वाले के पास व्यापक मोटर बीमा पॉलिसी है तो इसकी शर्तों के अनुसार वाहन को क्षति होने पर भुगतान किया जाएगा. इसके अलावा वाहन में सवार लोगों को हो सकने वाला जोखिम भी पॉलिसी के दायरे में आता है.’’

सीट बेल्ट के आधार पर दावा खारिज नहीं किया जा सकता है

एक अन्य बीमा कंपनी के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘लापरवाही के कारण दुर्भाग्यपूर्ण घटना होती है तो बीमा कंपनी को वाहन में क्षति के दावे का सम्मान कानूनी रूप से करना अनिवार्य होता है.’’ उन्होंने कहा कि पीछे बैठने वाले यात्रियों ने सीट बेल्ट पहनी थी या नहीं इसके आधार पर दावे को खारिज नहीं किया जा सकता है.

सीट बेल्ट की बाध्यता इंश्योरेंस की शर्तों में नहीं

प्रूडेंट इंश्योरेंस ब्रोकर्स के संयुक्त प्रबंध निदेशक पवनजीत सिंह ढींगरा ने कहा, ‘‘व्यक्ति ने सीट बेल्ट पहनी है या नहीं यह बीमा अनुबंध का विषय नहीं है.’’ इसलिए हादसे में घायल हुए या मारे गए यात्री को तीसरे पक्ष का दावा मिलने का अधिकार होता है.