फर्जी मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी को लेकर अलर्ट हुईं इंश्योरेंस कंपनियां, अपने कर्मचारियों को जारी की ये एडवाइजरी
Fake Insurance! फर्जीवाड़ा कर बड़े पैमाने पर गलत इंश्योरेंस पॉलिसी ग्राहकों को बेची जा रही हैं. कुछ कंपनियों ने इससे हो रहे नुकसान को देखकर अपने कर्मचारियों के लिए एडवाइजरी जारी की है. उन्होंने कर्मचारियों को ज्यादा सतर्क रहने को कहा है.
Fake Insurance! देश में तेजी से बढ़ रहे फर्जी मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी को लेकर बीमा कंपनियां अलर्ट हो गई हैं. सॉफ्टवेयर और फोटोशॉप की मदद से बड़े पैमाने पर फर्जी और गलत इंश्योरेंस पॉलिसी ग्राहकों को बेची जा रही हैं. कुछ कंपनियों ने इससे हो रहे नुकसान को देखकर अपने कर्मचारियों के लिए एडवाइजरी जारी की है. उन्होंने कर्मचारियों को ज्यादा सतर्क रहने को कहा है. वहीं फर्जी इंश्योरेंस से पॉलिसीहोल्डर्स को भी काफी नुकसान होता है. गलत पॉलिसी में क्लेम के समय उन्हें ज्यादा दिक्कत हो सकती है.
फेक मोटर इंश्योरेंस पर कंपनियां सतर्क
तेजी से बढ़ रही फर्जी इंश्योरेंस पॉलिसीज को लेकर कंपनियां सावधान हो गई हैं. कई बार धोखाधड़ी कर ऊंची कैटेगरी की गाड़ियों को टू-व्हिलर सेगमेंट का इंश्योरेंस पॉलिसी जारी कर दिया जाता है. इससे कंपनी को देय प्रीमियम और सॉफ्ट कॉपी में अंकित प्रीमियम में काफी फर्क आ जाता है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
फर्जीवाड़े का तरीका
इंश्योरेंस की सॉफ्ट कॉपी में गाड़ी के प्रीमियम, अवधि, कवरेज में छेड़छाड़ की जाती है. इंश्योरेंस कंपनी और इंटरमीडियरीज के ऑनलाइन पोर्टल के जरिए इसे अंजाम दिया जाता है. वहीं ऑफलाइन तरीके से भी फर्जीवाड़े की घटनाएं की जाती हैं
कंपनियों को नुकसान
फर्जीवाड़े की वजह से कंपनियों को OD (own damage cover) और TP (third party cover) प्रीमियम का नुकसान होता है. कंपनियों के लिए जोखिम का गलत वर्गीकरण हो जाता है. यही नहीं इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़ा गलत डेटा वाहन पोर्टल में भी चला जाता है. ट्रैफिक अथॉरिटी भी गलत जानकारी के साथ परमिट, फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर देते हैं.
कर्मचारियों को दिए निर्देश
इंश्योरेंस कंपनियों ने कहा है कि जारी की गई पॉलिसी की गहन जांच की जाए. ऑनलाइन चैनल के जरिए पॉलिसी डिटेल्स की जांच हो. फर्जीवाड़े का पता चलने पर पर IRDAI नियमों के तहत एक्शन हो. वहीं फर्जीवाड़ा करने वाले पॉलिसीहोल्डर पर भी कानून कार्रवाई करने के लिए कहा गया है.
पॉलिसीहोल्डर्स को होता है नुकसान
इस तरह के फर्जीवाड़े में पॉलिसी होल्डर्स को भी नुकसान होता है. क्लेम के समय उन्हें मुआवजे में दिक्कत आ सकती है. गलत पॉलिसी लेने पर रिस्क भी पूरा कवर नहीं होता. थर्ड पार्टी लाइबलिटी में बड़ा नुकसान मुमकिन है. यही नहीं फर्जी पॉलिसी पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है.
ग्राहक खुद कर सकते हैं जांच
IRDAI ने पॉलिसी पर QR code जरूरी कर दिया है. इसको स्कैन कर पॉलिसी की डिटेल्स की जांच कर लें. ऑनलाइन पेमेंट सीधे इंश्योरेंस कंपनी को ही करें. पॉलिसी भी इंश्योरेंस कंपनी के पोर्टल से ही खरीदें.